DNA: मध्य प्रदेश में बहू-बेटियों की `मंडी`, क्या है `झगड़ा नाथरा`, जिसने औरतों की जिंदगी बना दी नरक
DNA on Jhagda Nathra Practice: हमारे देश में राष्ट्रपति एक महिला हैं. हमारी संस्कृति में बेटियों को आगे बढ़ाने पर बहुत महत्व दिया गया है. इसके बावजूद एमपी के एक जिले में आज भी महिलाओं की मंडी लगती है.
Zee News DNA on Jhagda Nathra Practice: हिंदुस्तान के दिल मध्यप्रदेश में बेटियों की मंडी लगती है.. जी हां, इन मंडियों में पंच बैठते हैं.. बेटियों की बोली लगाई जाती है और फिर बेटियों को सरेआम बेच दिया जाता है.
आज आपको मध्यप्रदेश के राजगढ़ से ऐसी ग्राउंड रिपोर्ट के बारे में बताएंगे, जहां पिता, पति, ससुर मिलकर एक बेटी की नीलामी करते हैं. मंडी में जो सबसे ज्यादा बोली लगाता है, बेटी को उसे सौंप दिया जाता है. इस सब को यहां एक परंपरा एक प्रथा का नाम दे दिया गया है. हालात तो ये हैं कि यहां प्रशासन से लेकर पुलिस तक को इस सब का पता है. बावजूद इसके कुछ नहीं किया जाता है.
एमपी के राजगढ़ में बेटियों की मंडी
लेकिन जी मीडिया प्रथा के नाम होने वाले इस पाप को रोककर रहेगा. मध्यप्रदेश के राजगढ़ में भी बिटिया की विदाई तो सामान्य रूप से होती है लेकिन साजन के घर पहुंचने के बाद परंपरा के नाम पर वो पाप होता है जो किसी बुरे सपने से कम नहीं है.
वहां बेटियों को बेचने के लिए पंचायत बैठती है. इस पंचायत में बेटी की बोली लगती है और जो सबसे ज्यादा बोली लगाता है.. बिटिया को उसके हवाले कर दिया जाता है. चौंकाने वाली बात तो ये है कि इस बोली में लड़की के पिता और पति दोनों मौजूद होते हैं. जी हां, परंपरा और प्रथा के नाम पर हो रहे इस पाप का नाम है. झगड़ा नाथरा
बाप और ससुराल वाले ही लगा रहे बोली
इस गांव में न जाने ऐसी कितनी बेटियां हैं जिनकी या तो बोली लग गई है या फिर लगने वाली है. ऐसी ही एक बेटी पढ़ना लिखना चाहती है. लेकिन इसकी किस्मत का फैसला भी मंडी में कर दिया गया है. इसका सौदा 18 लाख में तय कर दिया गया है.
बिटिया नहीं बिकना चाहती है. लेकिन इसके ससुराल वालों की वजह से इसके पिता की मजबूरी थी इसे मंडी तक ले जाना, जहां इसकी कीमत 18 लाख रुपये लगा दी गई.
'झगड़ा नाथरा' प्रथा बन रही औरतों के लिए नरक
ये चौंकाने वाली बात है कि आखिर ये प्रथा है क्या और यहां ऐसा क्यों हो रहा है. क्या है ये झगड़ा नाथरा प्रथा. इस प्रथा में पहले तो नारी का बाल विवाह कर दिया जाता है. फिर लड़की का शारीरिक शोषण कर उसे छोड़ दिया जाता है लेकिन इसके बावजूद लड़की को पति तलाक नहीं देता है. तलाक के लिए लड़की के पिता को ससुराल वालों को मोटी रकम देनी होती है. पैसों के लिए लड़की के पिता पंचों के पास जाते हैं जहां बेटी की नीलामी होती है.
ये सब खुलेआम हो रहा है.. क्योंकि पुलिस प्रशासन इनके खिलाफ कोई ठोस एक्शन लेने को राजी नहीं है. अगर कोई ऐसा करता पकड़ा भी जाता है तो जानिए क्या होता है. राजगढ़ में एक शख्स अपने नाबालिग बेटे की पत्नी को बेचने की तेयारी में था. पकड़े जाने पर उसे सजा के नाम पर एसपी आदित्य मिश्रा ने भगवान हनुमान की प्रतिमा के सामने माफी मंगवाकर छोड़ दिया.
बजरंग बली की कसम खिलाकर छोड़ दिया
ह्यूमन ट्रैफिकिंग के नाम पर जिस शख्स को सलाखों के पीछे होना चाहिए था. उसे बजरंग बली की कसम खिलवाकर छोड़ दिया गया. पुलिस प्रशासन के साथ साथ इन प्रथाओं के बारे में पॉलिटिशियन भी जानते हैं. विपक्ष तो सरकार पर सवाल उठा रहा है लेकिन दुख तो तब होता है जब सत्ताधारी पार्टी इसे लेकर अपनी बेबसी जाहिर कर रही है.
क्या सो रही है एमपी सरकार?
ये पूरा मामला सालों से चलता आ रहा है.. लेकिन एक बार फिर ये तब संज्ञान में आया जब राष्ट्रीय महिला आयोग ने मध्यप्रदेश सरकार को इस मामले पर एक्शन लेने को कहा है. जिस देश की राष्ट्रपति महिला है - उस देश में बेटियां को बेचा जा रहा है. जिस राज्य की बेटियों को मुख्यमंत्री भांजी मानता है. वहां की बेटियों को बेचा जा रहा है. जिस राज्य में सरकार लाडली बहना योजना चलाई जाती है - वहां बेटियों की मंडी लग रही है. अब इसे क्या ही कहा. क्या सरकार सो रही है.. या फिर जानबूझकर आंखें बंद किए बैठी है.