DNA on India China LAC: LAC पर इस समय शांति बनी हुई है, लेकिन चीन भरोसे लायक पड़ोसी नहीं है. चीन पीठ पीछे वार करने पर यकीन करता है, उसकी नीयत हमेशा पड़ोसी देशों की जमीन कब्जाने की रहती है. चीन की इन चालबाजियों को भारत बहुत अच्छे से समझता है. वर्ष 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों ने LAC पर यथास्थिति बदलने की कोशिश की थी..जिसके बाद गलवान में खूनी झड़प हुई थी..चीनी सैनिकों ने लोहे की रॉड, कंटीले तारों से भारतीय जवानों पर हमला किया था..जिसमें कई सैनिक शहीद हो गये थे..इसके बाद सितंबर 2020 में पैंगोंग के दक्षिणी किनारे के पास हवाई फायरिंग की खबर भी आई थी..तब LAC पर फायरिंग दशकों बाद हुई थी.


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एलएसी पर कई बार हो चुकी है झड़प


चीन के विश्वासघात की ये कोई पहली घटना नहीं थी.इसके बाद दिसंबर 2022 को PLA के सैनिकों ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में LAC पर अतिक्रमण करके यथास्थिति बदलने की कोशिश की, चीन की उकसाने वाली इस हरकत का भारतीय सेना ने डंटकर मुकाबला किया. LAC पर कई बार ऐसी स्थिति बनी जब दोनों देशों के सैनिकों की झड़प हुई.


पीठ पीछे वार करने की चीन की पुरानी आदत है..एक तरफ तो वो दुनिया को ये दिखाने की कोशिश करता है कि, किसी भी विवाद को वो बातचीत से सुलझाने का पक्षधर है, लेकिन दूसरी तरफ वो आए दिन कोई ना कोई उकसावे की कार्रवाई करता है. Zee Media की टीम अरुणाचल प्रदेश में LAC पर उस जगह पर पहुंची है, जहां Civilians की No Entry है. वहां तक पहुंचना भी हर किसी के वश की बात नहीं है. जी मीडिया संवाददाता के.एम मिश्रा LAC के उस Point पर पहुंचे हैं, जहां सिर्फ भारतीय सैनिक तैनात होते हैं और चीन की हर हिमाकत पर पैनी नजर बनाकर रखते हैं और चीन को मुंह तोड़ जवाब देने के लिए खुद को तैयार करते हैं.


सैनिक को निहत्थे युद्ध की दी जा रही ट्रेनिंग


बिना हथियार..दुश्मन को धूल चटाने में माहिर भारतीय सेना के जवानों के साथ ज़ी मीडिया की टीम ने एक दिन बिताया है और महसूस किया है कि LAC पर देश की सरहदों की रक्षा करने वाले हमारे जवानों का पूरा दिन कैसे गुजरता है. ये भारतीय सेना के वो जांबाज योद्दा हैं.. जो दुश्मनों को बिना हथियार के भी धूल चटा सकते हैं. ये सेना के वो शूरवीर हैं... जो एक ही वार से दुश्मनों के नापाक मंसूबे को मिट्टी में मिला सकते हैं.


LAC पर चीन की किसी भी हिमाकत का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए... भारतीय सेना अपने जवानों को unarmed combat की ट्रेनिंग दे रही है... और इसे सैनिकों की Regular Exercise का हिस्सा बना दिया गया है. अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी हिस्से पर किबितू नाम की जगह है. LAC के नजदीक होने की वजह से ये इलाका बेहद संवेदनशील है. यहां भारतीय सेना के जवान 24 घंटे तैनात रहते हैं क्योंकि वर्ष 1962 में चीनी सैनिकों ने यहीं से भारत में घुसपैठ की थी. यहां तैनात जवानों के लिए मौसम और संपर्क सबसे बड़ी चुनौती है. इसीलिए जवानों को हर तरह के हालात का सामना करने के लिए तैयार किया जा रहा है. 


मौसम से भी रोज करते हैं लड़ाई


चीन आए दिन सीमा पर हिमाकत करता है. LAC पर हथियार तो नहीं चलते, लेकिन हाथापाई की नौबत कई बार आ जाती है. इसलिए इन सैनिकों के लिए, बिना हथियार की लड़ाई का अभ्यास जरूरी है. सैनिक यहां हर सुबह अपनी physical training के साथ unarmed combat की प्रैक्टिस करते हैं. मौसम, परिस्थितियों और चुनौतियों का सामना करते हुए बैटल प्रिपेयर्डनेस इफिसिएंसी टेस्ट यानि BPET के लिए भी हर रोज ड्रिल करते हैं. 



भारतीय सेना के ये शूरवीर योद्धा हर रोज गतका, तलवार, मार्शल आर्ट की प्रैक्टिस करते हैं. इन्हें गुत्थम-गुत्था लड़ाई की ट्रेनिंग भी की जाती है. चीनी सैनिकों से निपटने के लिए भारतीय सैनिकों को इजरायली मार्शल आर्ट, कर्व मागा की ट्रेनिंग दी जा रही है ताकि ये बिना हथियार के भी अपने दुश्मनों को धूल चटा दें. लेकिन 'इस पहाड़ी एरिया का मौसम और हालात बड़ी चुनौती है, पर ये जवान चुनौतियों को मौके की तरह देखते हैं. 


आखिर भारतीय सेना क्यों दे रही ये प्रशिक्षण?


अब आपके मन में ये सवाल भी होगा... जवानों को बिना हथियार के लड़ाई की ट्रेनिंग क्यों दी जा रही है... दरअसल वर्ष 1996 में भारत और चीन के बीच LAC पर पेट्रोलिंग को लेकर सीमा समझौता हुआ था. जिसके तहत दोनों देशों की सेनाओं को LAC पर गस्त के दौरान, किसी भी तरह के हथियार के इस्तेमाल ना करने पर सहमित बनी थी. इस संधि के तहत सेना के जवान सीमा पर निर्धारित प्वाइंट तक हथियार लेकर तो ले जा सकते हैं, लेकिन आमने-सामने आने पर या झड़प की स्थिति में हथियारों का इस्तेमाल नहीं कर सकते और किसी तरह के विवाद या तनाव की स्थिति में मसले को बातचीत के जरिए सुलझाया जाता है.


ये संधि लंबे समय तक सफल भी रही. सीमा पर कई बार तनाव पूर्ण स्थितियों के बावजूद. LAC पर लगभग 45 वर्षों तक एक भी गोली नहीं चली थी. हालांकि 2020 में गलवान झडप के बाद अब स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है. इसीलिए गलवान जैसी किसी भी स्थिति से निपटने के लिए भारतीय जवानों को बिना हथियारों के युद्ध की ट्रेनिंग दी जा रही है. 


परमाणु संपन्न हैं दोनों देश


इन जवानों में देश सेवा का जबरदस्त जज्बा है. सैनिकों की लगातार ट्रेनिंग और आला दर्जे के इक्विपमेंट इनके जज्बे को और बढ़ाते हैं. भारत और चीन के पास दुनिया की दो सबसे बड़ी सेनाएं हैं, और दोनों ही देश परमाणु शक्ति संपन्न है. ऐसे में सीमा पर अगर हथियारों का इस्तेमाल हुआ, तो इसके गंभीर परिमाम हो सकते हैं. इसीलिए ये जरूरी है हथियारों का इस्तेमाल किए बिना किसी भी मसले को बातचीत से हल किया जाए.


भारत सरहद पर दुश्मन की किसी भी हरकत का जवाब देने के लिए हमेशा तैयार है, हालांकि भारत किसी भी विवाद को बातचीत से सुलझाने का पक्षधर रहा है. इसलिए LAC पर Border Personnel Meeting भी बनाए गए हैं.


BPM पर होती है दोनों सेनाओं की मीटिंग


लद्दाख और अरुणाचल में कुल 5 BPM यानी Border Personnel Meeting प्वाइंट बनाए गए हैं..ताकि दोनों देशों के बीच विवाद को बातचीत के जरिए सुलझाया जा सके.. इनमें से एक BPM प्वाइंट अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी कोने पर किबितू नाम की जगह पर है..Zee Media की टीम इसी BPM प्वाइंट पर पहुंची, और LAC की मौजूदा स्थिति को जानने समझने की कोशिश की.


किबितू में ठीक LAC पर BPM होती है..और सीढियों के रास्ते दोनों देशों के सैन्य अधिकारी मुलाकात के लिए आते हैं..साथ ही भारत हर परिस्थिति के लिए तैयार भी है क्योंकि चीन पर किसी भी सूरत में भरोसा नहीं किया जा सकता. इसीलिए भारतीय सेना अपने जवानों को बिना हथियार के युद्ध की ट्रेनिंग दे रही है.