Zee Sammelan 2022: जी न्यूज के खास कार्यक्रम Zee Sammelan 2022 में आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह और बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने शिरकत की. इस सेशन की थीम थी- मोदी सरकार के 8 साल-कमाल या बवाल? सत्र के दौरान जब सुधांशु त्रिवेदी से पूछा गया कि रोजगार सृजन पर सरकार का प्रदर्शन कैसा रहा? इस पर उन्होंने कहा, भारत चीन के बाद मोबाइल का सबसे बड़ा कंज्यूमर है, मोबाइल हैंडसेट का. जब मोदी सरकार सत्ता में आई तब भारत में मोबाइल बनाने वाली कंपनियां सिर्फ 2 थीं. सब बाहर से बनकर आता था. आज 200 फैक्ट्रियां हैं. इसलिए जाहिर है कि कोई जिन्न तो आकर नहीं बना रहे हैं. रोजगार सृजन हुआ है.  


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उन्होंने कहा, दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल कंपनी सैमसंग की सबसे बड़ी फैक्ट्री नोएडा में है. डिफेंस प्रोडक्शन में सबसे बड़ा परिवर्तन हुआ है. आज स्थिति ये है कि भारत ब्रह्मोस मिसाइल का निर्यात करेगा और फिलीपींस उसे खरीदेगा. फरवरी के महीने में साढ़े 14 लाख लोग प्रॉविडेंट फंड से जुड़े हैं.



उन्होंने कहा कोविड के दौर में जी-7 देशों की दर निगेटिव रही है लेकिन भारत फिर भी अपने दम पर खड़ा है. कुछ दशक पहले भारत की ग्रोथ को हिंदू ग्रोथ रेट कहा जाता था. यानी तब केवल दो प्रतिशत की ही ग्रोथ थी. इसी कारण इसको हिंदू ग्रोथ रेट कहा गया. लेकिन मोदी सरकार के पिछले आठ वर्षों का आंकड़ा देख लीजिए तो डबल डिजिट का ग्रोथ देखने को मिलेगा.
 
इस पर जवाब देते हुए संजय सिंह ने कहा, मोदी सरकार ने हर साल दो करोड़ लोगों को रोजगार देने की बात कही थी, इस पर क्‍या हुआ. सेना में अग्निवीर योजना के नाम पर केवल चार साल की नौकरी दी जा रही है. उसके बाद उनका क्‍या होगा? वादे किए जा रहे हैं कि उनको यहां-वहां एडजस्‍ट किया जाएगा. लेकिन सच्‍चाई ये है कि जब नौकरियां हैं ही नहीं तो वहां इनको कैसे एडजस्‍ट किया जाएगा?


संजय सिंह ने आगे कहा कि अग्निवीर योजना के तहत एक युवा को 17 साल की उम्र में सैनिक बनाया जाएगा और 21 साल की उम्र में वो पूर्व सैनिक हो जाएगा. सरकार दलील देती है कि सेना देशसेवा के लिए है, नौकरी के लिए नहीं. हमारे सैनिक 21 हजार की तनख्वाह में माइनस 40 डिग्री तापमान में सियाचिन और 50 डिग्री तापमान में जैसलमेर में नौकरी करेंगे और पीएम मोदी 12 करोड़ रुपये की गाड़ी में घूमेंगे. हजारों करोड़ के जहाज में घूमेंगे तो ये देशसेवा का दोहरा पैमाना क्यों?


जब सुधांशु त्रिवेदी से पूछा गया कि जब 1991 में आर्थिक सुधार किए गए तो वैश्विकरण का बीजेपी ने विरोध किया था और जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार आई तो ग्लोबलाइजेशन-प्राइवेटाइजेशन के मामले में कांग्रेस से भी आगे निकल गए. इस पर त्रिवेदी ने कहा कि यह बात सच है. लेकिन अगर उस वक्त विरोध नहीं किया जाता तो देश में सारी कंपनियां विदेशी ही होतीं. इसलिए जहां जरूरी लगा, वहां समर्थन किया और विरोध भी. 


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