#ZeeNewsWorldExclusive: अक्साई चिन के लिए भारत की बड़ी तैयारी, डरा चीन
चीन से विवाद पर हम आपको इस वक्त की सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय खबर बता रहे हैं. Zee News के अंतरराष्ट्रीय कवरेज के आज पांचवें दिन हम आपको ये बता रहे हैं कि अब चीन को अक्साई चिन गंवाने का डर सताने लगा है.
नई दिल्ली: चीन से विवाद पर हम आपको इस वक्त की सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय खबर बता रहे हैं. Zee News के अंतरराष्ट्रीय कवरेज के आज पांचवें दिन हम आपको ये बता रहे हैं कि अब चीन को अक्साई चिन गंवाने का डर सताने लगा है. अक्साई चिन भारत का ही हिस्सा है, जो अभी चीन के कब्जे में है. भारत ने अक्साई चिन को हासिल करने के लिए बड़ी तैयारी कर ली है. भारत की जबरदस्त तैयारियों से चीन पूरी तरह डर चुका है. वो इतना डर चुका है कि अक्साई चिन गंवाने के डर से LAC पर सैनिक बढ़ाने लगा है.
चीन को अक्साई चिन गंवाने का डर
पिछले साल 5 अगस्त को लद्दाख को UT बनाने पर चीन ने आपत्ति जताई थी. अक्साई चीन से होकर तिब्बत से XINJIANG PROVINCE जाने का आसान रास्ता है. अगर ये रास्ता नहीं होगा तो काराकोरम रेंज होकर जाना पड़ेगा. अगर भारत अक्साई चिन की तरफ बढ़ेगा, तो चीन को न सिर्फ अक्साई चिन खोने का डर है बल्कि XINJIANG प्रांत भी खो सकता है, जहां वो UIGHAR MUSLIMS को प्रताड़ित करता रहा है.
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जानिए, क्या है अक्साई चिन विवाद क्या है?
- अक्साई चिन लद्दाख का हिस्सा है
- इसका क्षेत्रफल 37,244 किलोमीटर
- अक्साई चिन पर चीन का अवैध कब्जा
- 1947 के बाद चीन ने शुरू की घुसपैठ
- 1957 में चीन ने सड़क बनाई
- 1958 में चीन ने अपने नक्शे में दिखाया
- 1962 युद्ध के बाद चीन का कब्जा
- 1963- पाकिस्तान ने चीन को अक्साई चिन दिया
भारत के अक्साई चिन के क्षेत्रफल को समझिए
भारत के अक्साई चिन का क्षेत्रफल 37, 244 किलोमीटर है. ये क्षेत्रफल इतना बड़ा है कि कई राज्य भी इससे छोटे हैं. यह एरिया गोवा से करीब दस गुना बड़ा है. सिक्किम से करीब 5 गुना, मणिपुर से करीब डेढ़ गुना बड़ा है. इतना ही नहीं, अक्साई चिन का क्षेत्रफल आकार में कई देशों के मुकाबले भी बड़ा है. ताईवान से ज्यादा तो अक्साई चिन का क्षेत्रफल है. अक्साई चिन के क्षेत्रफल के सामने बेल्जियम तो कुछ है ही नहीं. अक्साई चिन भूटान से थोड़ा ही छोटा है.
कहां है अक्साई चिन ?
- केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख का हिस्सा है
- काराकोरम पर्वत शृंखला के बीच है
- समुद्र तल से ऊंचाई 17 हजार फीट
- कश्मीर के कुल क्षेत्रफल का करीब 20%
- क्षेत्रफल करीब 38 हजार वर्ग किलोमीटर
- अक्साई चिन पर चीन का अवैध कब्जा
अक्साई चिन चीन के कब्ज़े में नहीं होता अगर....
1. 1950 के दशक में नेहरू सरकार सावधान हो जाती
2. नेहरू सरकार चीन की घुसपैठ को समय रहते रोक देती
3. नेहरू सरकार चीन को सड़क नहीं बनाने देती
4. नेहरू सरकार सैन्य शक्ति की अहमियत समझती
5. 1962 में भारत की सेना चीन से बेहतर होती
अक्साई चिन का रणनीतिक महत्व
- चीन पर निगरानी के लिए अहम
- चीन के शिनजियांग और तिब्बत को जोड़ता है
- मध्य एशिया की सबसे ऊंची जगह
- ऊंचाई पर होने से सामरिक दृष्टि से अहम
- चीन की सेना भारत पर नज़र रख सकती है
- 1950 के दशक में चीन ने सड़क बनाई
- शिनजिंयाग और तिब्बत को जोड़ने वाली सड़क
अक्साई चिन का इतिहास
- 1947 से पहले कश्मीर रियासत का हिस्सा
- 1947- राजा हरि सिंह ने विलय का समझौता किया
- 1947- कानूनी तौर पर अक्साई चिन भारत का हिस्सा बना
- 1947 के बाद चीन ने घुसपैठ शुरू की
- नेहरू सरकार चीन की घुसपैठ रोक नहीं पाई
- 1957 तक चीन ने सड़क बना ली
- 1962 की लड़ाई के बाद चीन ने कब्जा किया
- भारत चीन से कब्ज़ा खाली करने को कह चुका है