Aadat Hai Badal Dalo: आज कल ज्यादातर कामकाजी लोग अपने वर्क प्लेस पर प्लास्टिक और प्लास्टिक से बने बर्तनों (Plastic utensils) का उपयोग करते हैं. चलिए ऑफिस में तो मजबूर है प्लास्टिक के बर्तनों का इस्तेमाल करना, लेकिन ज्यादातर घरों में भी जोरों से इनका उपयोग हो रहा. अगर आप भी प्लास्टिक के बर्तनों में खाना खाते हैं तो आज ही अपनी इस आदत को छोड़ दें. हालांकि, ठंडी चीजों के लिए तो प्लास्टिक के बर्तनों का इस्तेमाल करना तो ठीक है, लेकिन गर्म खाने के लिए इनका इस्तेमाल आपकी ओवरऑल हेल्थ के लिए हानिकारक साबित हो रहा है. 


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हमारी लाइफ पर हमारी अच्छी और बुरी आदतों का बहुत फर्क पड़ता है. अच्छी आदतें ही हमें कामयाब और सफल बनती है. वहीं, बुरी आदतें हमारी हेल्थ के लिए भी नुकसानदेह होती हैं. ऐसी ही एक आदत है प्लास्टिक के यूटेंसिल का उपयोग करना. 


प्लास्टिक करता है जहर का काम
दरअसल, प्लास्टिक को बनाने में बिस्फेनल ए का प्रयोग होता है, यह शरीर में एस्ट्रोजेन जैसे हार्मोन को बिगाड़ देता है. यह मुख्य रूप से पॉलीकार्बोनेट या रीसाइकिल कोड 7 नामक प्लास्टिक के एक प्रकार में पाया जाता है. इससे दिल की बीमारी और कैंसर का जोखिम बढ़ता है. 


सेहत को इस तरह पहुंचाते हैं नुकसान
हार्मोन में बदलाव होने के कारण आपके अंदर चिंता, चिड़चिड़ापन, अनिद्रा, तनाव, गुस्सा आदि समस्याएं हो सकती हैं. वहीं, एलर्जी, कार्डियोवस्क्युलर डिजीज और कैंसर होने का जोखिम हो सकता है. एक्सपर्ट्स की मानें तो प्लास्टिक के बर्तनों में खाना खाने से इम्यून सिस्टम पर गलत इफेक्ट पड़ता है. वहीं, अगर प्रेगनेंट लेडी प्लास्टिक के बर्तनों में खाना खाती हैं, तो शिशु कमजोर पैदा होने की संभावना बढ़ जाती है. 


ना करें प्लास्टिक का इस्तेमाल 
बीपीए से बने प्लास्टिक के कंटेनरों में खाना गर्म करने से भोजन में इसका बिस्फेनल ए का लेवल बढ़ जाता है. अगर माइक्रोवेव में खाना बनाना है या गरम करना है तो सेरामिक या किसी दूसरी धातु के बर्तन का उपयोग करें. खाना गर्म करने के लिए माइक्रोवेव में प्लास्टिक के यूटेंसिल का उपयोग करने से बिस्फेनल ए 50 गुना ज्यादा तेजी से खाने में मिल जाता है.