नई दिल्ली: स्पेस साइंस (Space Science) में करियर बनाने की ख्वाहिश रखने वालों के लिए बेहतर मौका है. 13 साल बाद यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) अंतरिक्ष यात्रियों की खोज कर रहा है. साल 2008 के बाद अब पहली बार यूरोपियन स्पेस एजेंसी नए एस्ट्रोनॉट्स खोज में है. दरअसल यूरोप के पुराने एस्ट्रोनॉट्स की उम्र ज्यादा हो चुकी है. इसलिए ESA अंतरिक्ष मिशन में खुद को स्थापित करने की ख्वाहिश रखने वाले युवाओं से आवेदन मंगवा रही है. अगर आप भी फिट हैं स्वस्थ हैं और पेशेंस के साथ खुद को शांत रख कर काम कर सकने की क्षमता रखते हैं तो आप भी इसमें आवेदन कर सकते हैं.


ट्रेनिंग और कोर्सेस 


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एस्ट्रोनॉट्स के लिए सेलेक्शन होने के बाद 3 सप्ताह केविंग और व्यवहारिक भू-विज्ञान का कोर्स करवाया जाएगा. सबसे पहले नए अंतरिक्ष यात्री इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर भेजे जाएंगे. इसके बाद 2020 दशक के अंत में या 2030 के मध्य में 'मून मिशन' के लिए भेजे जाएंगे. यूरोपियन स्पेस एजेंसी को उम्मीद है कि बेहतर प्रोफेशनल अंतरिक्ष यात्री को इस भर्ती प्रक्रिया से चुना जा सकेगा.


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दिव्यांगों के लिए स्पेशल श्रेणी 


ESA की तरफ से इस बार एस्ट्रोनॉट्स के लिए एक खास आवेदन श्रेणी रखी गई है. इसमें शारीरिक रूप से अक्षम लोग भी अप्लाई कर सकते हैं. गौरतालाब है कि दिव्यांगों के लिए इस बार ESA पायलट प्रोजेक्ट शुरू कर रहा था. इसका मकसद है जो लोग कम लंबे हैं या फिर शरीर के किसी और विकार से ग्रसित है उन्हें भी आवेदन करने का मौका दिया गया है. इसलिए इस बार एसा (ESA) के साथ जुड़ने का सुनहरा मौका है. 



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शैक्षणिक योग्यता और पात्रता 


ये प्रक्रिया योग्य लोगों को आवेदन करने के लिए प्रोत्साहित करेगा. आवेदन के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र का अनुभव जरूरी नहीं है. उम्मीदवारों को प्राकृतिक विज्ञान, चिकित्सा, इंजीनियरिंग, गणित, कम्प्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री की आवश्यकता होगी या फिर एक्सपेरिमेंटल पायलट के रूप में क्वालीफाई होना चाहिए. इसके अलावा अच्छी इंग्लिश भी अनिवार्य है. ध्यान रखें स्पेस साइंस में प्रेशर बहुत होता है इसलिए इस जॉब के लिए सुयोग्य व्यक्ति को प्रेशर में रह कर काम करना आना चाहिए.


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लाखों लोगों का सपना होगा साकार 


साइंस मिनिस्टर अमांडा सोलोवे (Amanda Soloway) ने कहा कि अंतरिक्ष यात्री बनना कई लोगों का सपना होता है. 2015 में अंतरिक्ष के ऐतिहासिक मिशन ने लाखों ब्रिटिश लोगों ने देखा है. ये बाकी लोगों के लिए भी हकीकत बन सकता है. इसलिए नई पीढ़ी को इस आवेदन को भरना चाहिए और एस्ट्रोनॉट बनने का मौका छोड़ना नहीं चाहिए.


हेलेन शरमन 


इस स्पेस एजेंसी से 1989 में हेलेन शरमन (Helen Sharman) पहली ब्रिटिश अंतरिक्ष यात्री बनी. जब उनका सेलेक्शन ज्वाइंट यूके सोवियत संघ मिशन में हुआ. 1991 में शरमन ने अंतरिक्ष में 8 दिन गुजारे और मीर स्पेस स्टेशन पर पहुंचने वाली पहली महिला अंतरिक्ष यात्री बनी. 


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