Suicide Prevention: अगर आपके भी दिमाग में आ रहा है Suicide का कीड़ा, तो पढ़ें ये खबर
Suicide Prevention: सुशांत सिंह राजपूत युवाओं के चहेते इसलिए भी थे, क्योंकि उनकी पहचान एक जिंदादिल और खुशनुमा इंसान के रूप थी, लेकिन उनके द्वारा डिप्रेशन में उठाए खुदखुशी के कदम से सभी के मन में कई तरह के सवाल खड़े हो गए. जानें इससे बचचे के तरीके...
Suicide Prevention: दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत आज हमारे बीच नहीं है, लेकिन होते तो वह आज अपना 37वां जन्मदिन मना रहे होते. सुशांत का जन्म 21 जनवरी 1986 को पटना में हुआ था. एक्टर को आज भी उनके फैंस भूल नहीं पाए हैं. एक टैलेंटेड एक्टर होने से पहले वह अपनी स्टूडेंट लाइफ में बेहतरीन स्टूडेंट भी रहे हैं. उनकी युवाओं के दिल में एक खास जगह होने वजह यह भी है कि उनका एकेडमिक सफर बहुत शानदार रहा, जो यूथ के लिए काफी इंस्पीरेशनल है.
आपको याद ही होगा 14 जून 2022 का वह दिन, जब सुशांत सिंह राजपूत की मौत की खबर मिलते ही हर कोई शॉक्ड रह गया था. कहा गया कि मौत से पहले पिछले 6 महीने से सुशांत डिप्रेशन में थे. किसी भी व्यक्ति के द्वारा आत्महत्या करने से पहले उसके मन में कई तरह के विचार बनते हैं.
ऐसे लोगों के शारीरिक और मानसिक स्तर में भी बदलाव देखने को मिलता है. ऐसे में हम जानेंगे कि आखिर कोई भी इंसान चाहें वह सेलेब्रिटी हों, नौकरी पेशा हो या स्टूडेंट डिप्रेशन में क्यों आते हैं और इसके क्या लक्षण होते हैं, ताकि समय रहते जो व्यक्ति इस परेशानी से जूझ रहा है, उसकी जान बचाई जा सके.
डिप्रेशन के कई कारण
किसी अपने का दूर चले जाना
परिवार से दूर अकेले रहना.
फ्यूचर की फिक्र को लेकर परेशान रहना
इनसिक्योरिटी फील करना
अन्य लोगों द्वारा अलग-थलग कर देना.
फायनेंशियल और फैमिली इश्यू
डिप्रेशन में जाने के लक्षण
ऐसा इंसान दूसरों से मिलना-जुलना छोड़ देता है.
नींद नहीं आती या बार-बार टूट जाती है.
ऐसे व्यक्ति की भूख कम हो जाती है.
खुद को कमजोर महसूसर करना.
ऐसा इंसान अकेले रहना और कम बोलना पसंद करता है.
भारत में सुसाइड के केस
आज हमारा देश दुनिया के उन देशों में शामिल है, जहां युवाओं द्वारा इस तरह का कदम सबसे ज्यादा उठाया जा रहा है. यह हम नहीं डब्ल्यूएचओ के आंकड़ें कहते हैं, जिसके अनुसार विश्व में हर साल लगभग 8 लाख लोग सुसाइड करते हैं. इसमें भारत से लगभग 17 प्रतिशत लोग शामिल हैं. दुनिया के दूसरे देशों की अपेक्षा रूस, भारत, कुछ यूरोपीय और अफ्रीकी देशों में सुसाइड के केस बहुत ज्यादा देखने को मिलते हैं.
आत्महत्या का ख्याल मन में आएं, तो ऐसे रोकें
अगर आपके दिमाग में भी ऐसे विचार आ रहे हैं तो कभी अकेले न रहे. अपनी हॉबीज को वक्त दें. फिल्में देखने का शौक हैं, तो नई-नई फिल्में देखें. कहीं लंबे टूर पर निकल जाएं. अपने अच्छी मेमोरीज के बारे में सोचें. मनपसंद खाना बनाना सीखें. अच्छी-अच्छी किताबें पढ़ें. वहीं, अगर आपको ये लगता है कि कोई व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार है तो ऐसे व्यक्ति से बातें करना बेहद जरूरी होता है. उसे अकेला छोड़ना जानलेवा भी हो सकता है.
किसी के डिप्रेशन में होने का पता लगने के बाद उसके करीबी लोगों को फौरन डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. उसके आसपास का माहौल खुशनुमा बनाए रखना जरूरी है. कभी तुरंत और कभी-कभी लंबे स्ट्रेस के चलते भी सुसाइड करने की बात का मन में आ सकती है.
इन नंबर के जरिए मिलेगी मदद
आत्महत्या को रोकने के लिए एकजुट होने की जरूरत है. किसी भी तरह की मदद के लिए आप सुसाइड प्रिवेंशन इंडिया फाउंडेशन से संपर्क कर सकते हैं- +(91)-80470-96367