Effects Of Air Pollution: सर्दियां पूरी तरह आने से पहले ही दिल्ली-एनसीआर में एयर पॉल्यूशन का असर दिखाई देने लगा है. ऐसे लोग जिन्हें कोई बीमारी नहीं है वो भी एयर पॉल्यूशन की वजह से मरीज कहलाए जा रहे हैं और अस्पतालों की ओपीडी में डॉक्टरी मदद के लिए पहुंच रहे हैं. देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स ने भी नई रिसर्च से सावधान किया है कि अगर आपको पहले से कोई बीमारी है तो अभी से सावधान हो जाइए क्योंकि एयर पॉल्यूशन केवल फेफड़ों के मरीज को ही नहीं, डायबिटीज के मरीज को भी परेशान कर सकता है. इसके अलावा एयर पॉल्यूशन की वजह दिमाग को खतरा होने की बात भी सामने आई है.


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दिमाग पर एयर पॉल्यूशन का असर


दिल्ली के गंगाराम अस्पताल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर‌ अंशू रोहतगी ने बताया कि  प्रदूषण के बारीक दिमाग में भी पहुंचने लगते हैं और ब्रेन की लाइनिंग को इरिटेट करते हैं इसकी वजह से दिमाग में सूजन बढ़ जाती है कई लोगों को नींद ना आने की परेशानी शुरू हो जाती है जो लोग पहले से किसी न किसी दिमागी बीमारी के शिकार है उनकी बीमारी और ज्यादा खराब होने लगती है


दिल्ली में बढ़ा पॉल्यूशन का लेवल


बता दें कि आज 23 अक्टूबर 2023 को दिल्ली के कई इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 के पार चला गया. इसका मतलब है कि दिल्ली की हवा बहुत खराब श्रेणी तक पहुंच चुकी है. आज दिल्ली के एयरपोर्ट टी3 पर AQI 323, दिल्ली यूनिवर्सिटी के इलाके में AQI 330, लोधी रोड के पास AQI 330, IIT दिल्ली क्षेत्र में AQI 309 और पूसा में AQI 208 दर्ज किया गया.


खराब हवा से अस्पतालों में बढ़े मरीज


जान लें कि 200 की एयर क्वालिटी पर ही मरीज अस्पतालों तक पहुंचने लगे. खांसी, और गले में खराश से लेकर दम घुटने तक की शिकायत ने सर्दी में फैलने वाली नई बीमारी वायु प्रदूषण को जन्म दिया है. 35 साल के गुरनाम इस वक्त इन्हेलर का इस्तेमाल करना सीख रहे हैं क्योंकि रात में सोने और दिन में बाहर निकलने में इनकी सांस फूल रही है.


कैसे मापा जाता है एयर पॉल्यूशन का लेवल?


भारत में AQI यानी Air Quality Index को इस तरह से समझा जाता है. 0 से 50- अच्छा (Good), 51 से 100- संतोषजनक (Satisfactory), 101 से 200- मध्यम स्तर (Moderate), 201 से 300- खराब (Poor), 301 से 400- बेहद खराब (Very Poor) और 401 से 500- गंभीर स्तर (Severe) माना जाता है. अब इसे आप ऐसे समझिए कि लंदन में एयर क्वालिटी 50 से पार जाने पर इमरजेंसी अलर्ट घोषित किया जाता है और लोगों को घर में रहने की सलाह दी जाती है.


खराब हवा हमें कैसे करती है बीमार?


भारत में फिलहाल हम तक जो एयर क्वालिटी पहुंच रही है वो धूल के 2.5 माइक्रोन प्रति क्यूबिक मीटर वाले कणों को मापने से तय हो रही है. लेकिन हवा में इससे भी बारीक कण मौजूद हैं जो हमारी सांस से दिमाग, फेफड़ों, खून, लिवर यानी लगभग पूरे शरीर में पहुंच जाते हैं. और यही एक अच्छे भले इंसान को बीमार कर रहे हैं. इसलिए 200 एयर क्वालिटी पर लोग बीमार हो रहे हैं और अस्पतालों में ऐसे मरीजों की भीड़ लगभग 20 प्रतिशत तक बढ़ गई है जिन्हें केवल खराब हवा बीमार कर रही है.


लगातार बढ़ रही सांस के मरीजों की संख्या


दिल्ली के पीएसआरआई अस्पताल के श्वास रोग विभाग के चेयरमैन डॉक्टर जी. सी. खिलनानी के मुताबिक, ओपीडी में अस्थमा के शिकार मरीज अभी से आने लगे हैं. ऐसे लोगों का फीनो टेस्ट करके हम देख पा रहे हैं कि उनकी सांस नली में सूजन आ चुकी है. FENO यानी Fraction Of Exhaled Nitric Oxide टेस्ट. ये टेस्ट बता पा रहा है कि सूजन की वजह मरीज को सांस छोड़ने में कितना जोर लगाना पड़ रहा है. इस टेस्ट के लेवल दिल्ली वालों में काफी बढ़े हुए आ रहे हैं.


जहरीली हवा से कैसे बचें?


एक्सपर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली वालों को अभी से मॉर्निंग वॉक बंद कर देनी चाहिए क्योंकि सुबह की ठंडी हवा में प्रदूषण के कण ज्यादा नीचे मौजूद रहते हैं. धूप निकलने पर ही एक्सरसाइज करें. भीड़ में ना जाएं. साधारण मास्क की जगह N95 मास्क लगाएं जो प्रदूषण के कणों को रोक सकेगा. पानी और तरल पदार्थ लेते रहें. ऐसे लोग जो बहुत बीमार हैं वो कमरे में एयर प्यूरीफायर लगा सकते हैं.


वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, एयर पॉल्यूशन एक ‘पब्लिक हेल्थ एमरजेंसी’ है क्योंकि दुनिया की 90 प्रतिशत से अधिक आबादी जहरीली हवा में सांस ले रही है. हर साल 88 लाख असमय मौतें खराब हवा में सांस लेने से हो रही हैं लेकिन भारत में अभी तक पॉल्यूशन को मौत के कारण के तौर पर दर्ज नहीं किया गया है. शिकागो यूनिवर्सिटी की हाल की रिपोर्ट के मुताबिक, वायु प्रदूषण की वजह से भारतीयों की औसत उम्र 5 साल और दिल्ली में रहने वालों की 12 साल तक कम हो जाती है. इसलिए जितना हो सके, घर से बाहर कम निकलिए.