प्‍लास्‍ट‍िक की बोतल या ट‍िफ्फ‍िन खरीदते वक्‍त आपने उस पर BPA Free का लेवल देखा होगा. वहीं कुछ बोतलों पर ऐसी कोई लेबल‍िंग नहीं होती. दरअसल, बीपीए प्‍लास्‍ट‍िक में पाया जाने वाला एक कंपोनेंट है जो सेहत के ल‍िए हान‍िकारक होता है. हाल ही में शोधकर्ताओं ने गर्भ में पल रहे बच्‍चे पर इसके असर का अध्‍ययन क‍िया है. स्‍टडी में जो बात सामने आई है, वह आपको ऐसी बोतलों को इस्‍तेमाल करने को लेकर सोचने पर मजबूर कर देगी. खासतौर से अगर आप प्रेग्‍नेंट हैं तो आपको इस स्‍टडी के बारे में जरूर पढ़ लेना चाह‍िए. स्‍टडी की र‍िपोर्ट कहती है क‍ि BPA युक्‍त बोतलों, ट‍िफ्फ‍िन या बर्तनों का इस्‍तेमाल करने से बच्‍चों में ऑट‍िज्‍म का खतरा रहता है. अगर प्रेग्‍नेंट मह‍िला इन बोतलों का इस्‍तेमाल कर रही है, तो उसके गर्भ में पल रहे बच्‍चे को ऑट‍िज्‍म का खतरा हो सकता है.   


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ऑट‍िज्‍म  (Autism meaning in hindi) एक ऐसी कंड‍िशन है, ज‍िसमें प्रभाव‍ित बच्‍चे का द‍िमाग, सामान्‍य बच्‍चों की तरह काम नहीं करता है. उसे सीखने और समझने में दूसरे बच्‍चों के मुकाबले वक्‍त लगता है और ऐसे बच्‍चे सबके साथ जल्‍दी घुलते म‍िलते भी नहीं.  


हालांक‍ि स्‍टडी में ये दावा नहीं क‍िया गया है क‍ि BPA के कारण ऑट‍िज्‍म होता है. लेक‍िन इसमें ये जरूर बताया गया है क‍ि BPA के कारण छोटे श‍िशुओं और स्‍कूल जाने वाले बच्‍चों में एस्‍ट्रोजेन का स्‍तर बढ़ा सकता है, जो उन्‍हें ऑट‍िज्‍म का श‍िकार बना सकता है. 


आइये जानते हैं क‍ि स्‍टडी की र‍िपोर्ट क्‍या कहती है: 
इसे लेकर रोवन-वर्चुआ स्कूल ऑफ ऑस्टियोपैथिक मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने अध्‍ययन क‍िया और पाया क‍ि हार्ड प्‍लास्‍ट‍िक का BPA कंपोनेंट सेहत को प्रभाव‍ित कर सकता है. हर द‍िन ऐसे प्‍लास्‍ट‍िक का इस्‍तेमाल करने से शरीर में एस्‍ट्रोजन (oestrogen) नाम के हार्मोन का स्‍तर बढ़ा देता है. बच्‍चों में इसका स्‍तर बढने की वजह से ऑट‍िज्‍म का खतरा बढ जाता है. कुछ देशों ने एहतियात के तौर पर छोटे बच्‍चों और श‍िशुओं की बोतलों में BPA पर प्रतिबंध लगा दिया है. उदाहरण के तौर पर ऑस्ट्रेलिया ने हाल ही में ये कदम उठाया है. 


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जान‍िये क्‍या है ऑट‍िज्‍म और कैसे होता है? 
ऑट‍िज्‍म एक न्‍यूरोडेवलपमेंट ड‍िस्‍ऑर्डर है, ज‍िसमें सोशल कम्‍युन‍िकेशन में परेशानी आती है और ऐसा व्‍यक्‍त‍ि एक ही काम बार-बार करता है. ऑटिज्म से पीड़ित लोगों को अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं, जैसे क‍ि दौरे आना, पेंसिल पकड़ने में द‍िक्‍कत आना या दरवाजा खोलने के लिए चाबी घुमाने में द‍िक्‍कत आना, नींद न आना और पेट की गड़बड़ी होना . ये सब ऑट‍िस्‍ट‍िक बच्‍चों में देख सकते हैं. 
  
ऑट‍िज्‍म की वजहों में जेनेट‍िक्‍स का बडा योगदान है. 1000 से ज्‍याद जीन इसे प्रभाव‍ित करते हैं. अध्‍ययनकर्ताओं ने कहा क‍ि लेक‍िन ये अभी तक पता नहीं चल पाया है क‍ि कौन सा इससे सबसे ज्‍यादा प्रभाव‍ित करता है. लेक‍िन कुछ वजहों के बारे में जरूर पता चला है. 


अध्‍ययनकर्ताओं का कहना है क‍ि इसके ल‍िए वातावरण भी एक फैक्‍टर है. प्रेग्‍नेंसी के दौरान मां कैसे वातावरण में रही है, इसका बहुत प्रभाव पडता है. प्रेग्‍नेंसी के दौरान दिये जाने वाले कुछ एंटीसीजर दवाओं के कारण बच्‍चों में न्‍यूरो डेवलपमेंट ड‍िस्‍ऑर्डर आ जाता है. हालांक‍ि खतरे को देखते हुए अब इन दवाओं को बैन कर द‍िया गया है.  
 
इसके अलावा हाल के अध्‍ययन में बीपीए को भी एक फैक्‍टर बताया गया है. प्रेग्‍नेंट मह‍िला के गर्भ में बीपीए की मौजूदगी बच्‍चे के मस्‍त‍िष्‍क को प्रभाव‍ित कर सकती है.  


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