Air Pollution: क्या एयर पॉल्यूशन की वजह से हो सकता है Lung Cancer? जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट
Air Pollution And Lung Cancer: इस बात से हम सभी वाकिफ हैं कि एयर पॉल्यूशन हमारी सेहत के लिए बिलकुल भी अच्छा नहीं है, लेकिन क्या इसकी वजह से फेफड़े का कैंसर हो सकता है. आइए जानते हैं.
Can Air Pollution Causes Lung Cancer: दिल्ली और आसापास के शहरों में जहरीली धुंध की मोटी परत नजर आ रही है, जिससे विजिबिलिटी भी कम हो गई है. साथ ही एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) हैजार्डस (hazardous) कैटेगरी में जा चुका है. यहां कुछ स्कूलों को पहले ही बंद करने का आदेश दिया गया था. देश की राजधानी को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में रखा जाता है. एयर पॉल्यूशन की वजह से घर से बाहर निकलना और सांस लेना मुश्किल हो गया है, ऐसे में सांस से जुड़ी कई बीमारियों का खतरा पैदा हो गया है, लेकिन क्या वायु प्रदूषण की वजह से लंग कैंसर का भी रिस्क बढ़ जाता है? आइए एक्सपर्ट से जाने हैं.
लंग कैंसर कैसे होता है?
दिल्ली में वसंत कुंज के फोर्टिस अस्पताल के सीनियर डॉक्टर प्रशांत सक्सेना (Dr. Prashant Saxena) ने धुएं से होने वाले लंग कैंसर को लेकर अपनी राय रखी है. उन्होंने कहा, 'जो लोग सिगरेट पीते हैं उनमें नॉन स्मोकर्स की तुलना में लंग कैंसर का खतरा 15 से 30 फीसदी अधिक होता है. कभी-कभी या दिन में एक बार भी धूम्रपान करने से कई लोगों में फेफड़ों का कैंसर हो सकता है.'
एयर पॉल्यूशन और लंग कैंसर का रिश्ता
डॉ. प्रशांत ने कहा, 'स्मोकिंग करने वालों और इसके संपर्क में आने वाले लोगों (सेकेंड हैंड स्मोकर्स) दोनों में फेफड़ों के कैंसर का प्रमुख कारण धूम्रपान है। कभी-कभी वो मरीज जो कभी स्मोकिंग नहीं करता था या कभी भी धुएं के संपर्क में नहीं था या शहरी क्षेत्रों में रहता है, उसे फेफड़ों का कैंसर हो जाता है. इन मामलों में, लंग कैंसर का कारण पाइप, सिगार, हुक्का है या बिल्कुल भी कोई वजह नहीं है. अब तक किसी भी स्टडी ने एयर पॉल्यूशन और लंग कैंसर का डायरेक्ट लिंक नहीं खोजा है, लेकिन वायु प्रदूषण की वजह से हमारे फेफड़े जरूर प्रभावित होते हैं.'
लंग कैंसर के लक्षण
डॉ. प्रशांत ने ये भी कहा, 'फेफड़ों के कैंसर के लक्षण जैसे अच्छा महसूस न होना, हर समय थका रहना, बार-बार खांसी, सीने में दर्द या सीने में भारीपन, ऐसा स्मोकिंग न करने वालों को भी हो सकता है. आप सेकेंड हैंड स्मोकिंग को कम करके फेफड़ों के कैंसर के जोखिम को कम कर सकते हैं, जबकि कुछ कारण जैसे निजी/फैमिली हिस्ट्री को बदला नहीं जा सकता है. फेफड़ों के कैंसर के पारिवारिक इतिहास वाले लोगों को डीएनए म्यूटेशन के कारण ये बीमारी हो सकती है.'
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मक़सद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.