Obesity: मोटापा बढ़ा सकता है डिमेंशिया का खतरा? जानें क्या कहता है लेटेस्ट रिसर्च
शारीरिक स्वास्थ्य के लिए मोटापा एक गंभीर खतरा माना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है? जानें हाल ही में हुए एक अध्ययन में क्या सामने आया.
डिमेंशिया दिमाग से जुड़ी एक बीमारी है, जो याददाश्त, सोचने-समझने और रोजमर्रा के काम करने की क्षमता को कमजोर कर देती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपका वजन भी डिमेंशिया के खतरे को बढ़ा सकता है? हाल ही में हुए एक अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है.
कनाडा में हुए इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि मोटे लोगों में डिमेंशिया का खतरा ज्यादा होता है. अध्ययन में लगभग 1600 लोगों को पांच साल तक शामिल किया गया. शोधकर्ताओं में कई भारतीय मूल नागरिक भी शामिल थे. अध्ययन के दौरान पाया गया कि जो लोग डिमेंशिया से ग्रस्त थे, उनके शरीर में एपोलीपो-प्रोटीन ई (ApoE) नामक प्रोटीन की मात्रा अधिक थी. यह प्रोटीन उन लोगों में ज्यादा एक्टिव होता है जो शारीरिक रूप से कम एक्टिव रहते हैं.
यह अध्ययन बताता है कि डिमेंशिया का खतरा सिर्फ जेनेटिक्स कारणों से नहीं होता, बल्कि फिजिकल एक्टिविटी की कमी भी इसे बढ़ा सकती है. दुनियाभर में करीब 4.7 करोड़ लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं और शोधकर्ताओं का दावा है कि साल 2050 तक यह आंकड़ा 11.54 करोड़ तक पहुंच सकता है. फिलहाल डिमेंशिया का पूरी तरह से इलाज संभव नहीं है, इसलिए इससे बचाव के उपाय करना बहुत जरूरी है. इस अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि स्वस्थ वजन बनाए रखने और नियमित रूप से व्यायाम करने से डिमेंशिया के खतरे को कम किया जा सकता है.
अध्ययन पर एक्सपर्ट की राय
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह अध्ययन इस बात का स्पष्ट प्रमाण नहीं देता कि मोटापा ही डिमेंशिया का कारण बनता है. लेकिन यह निश्चित रूप से बताता है कि दोनों में एक संबंध है. वहीं, एक न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर अंजली सिंह का कहना है कि यह अध्ययन एक पॉजिटिव कदम है. इससे हमें डिमेंशिया के संभावित कारणों को समझने में मदद मिलती है. हालांकि, भविष्य में और अधिक शोध की आवश्यकता है ताकि यह पता लगाया जा सके कि मोटापा डिमेंशिया को कैसे प्रभावित करता है.
आप क्या कर सकते हैं?
अगर आप डिमेंशिया के खतरे को कम करना चाहते हैं, तो आप निम्न चीजें कर सकते हैं:
- स्वस्थ वजन बनाए रखें.
- नियमित रूप से व्यायाम करें.
- बैलेंस डाइट लें.
- धूम्रपान न करें.
- दिमागी कसरत करें.
- अपने डॉक्टर से नियमित रूप से जांच कराएं.