कैंसर एक शब्द जो सुनते ही रौगटे खड़े हो जाते हैं, खासकर जब बात महिलाओं के ब्रेस्ट कैंसर की हो. यह बीमारी न सिर्फ शारीरिक पीड़ा देती है, बल्कि मानसिक तौर पर भी कमजोर कर देती है. और अगर इस बीमारी के साथ डिप्रेशन का भी साथ हो जाए, तो स्थिति और भी भयानक हो सकती है.


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हाल ही में एक चौंकाने वाला अध्ययन सामने आया है, जिसमें बताया गया है कि डिप्रेशनसे पीड़ित महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर से मृत्यु का खतरा काफी बढ़ जाता है. रूस के शोधकर्ताओं ने 1977 से 2018 के बीच किए गए कई अध्ययनों का विश्लेषण किया, जिसमें उन्होंने ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित महिलाओं पर डिप्रेशन के प्रभाव का अध्ययन किया था.


स्टेज 1 और 2 में डिप्रेशन
यूरोपियन साइकियाट्रिक एसोसिएशन कांग्रेस 2024 में हंगरी में प्रस्तुत किए गए ये निष्कर्ष बताते हैं कि विभिन्न अध्ययनों में शुरुआती चरण (स्टेज 1 और 2) के कैंसर और डिप्रेशन से ग्रस्त महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर से होने वाली मृत्यु दर और सामान्य मृत्यु दर दोनों में 2 से 2.5 गुना तक वृद्धि देखी गई है. अध्ययन में पाया गया कि नॉन-मेटास्टेटिक ब्रेस्ट कैंसर वाली महिलाओं में डिप्रेशन होने से 8-15 वर्षों के भीतर मृत्यु का खतरा 2.5 गुना अधिक हो जाता है.


जीवन की क्वालिटी होती है प्रभावित
अध्ययन के अनुसार, डिप्रेशन और चिंता दोनों ही ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों के सर्वाइवल रेट को कम कर सकते हैं और उनके जीवन की क्वालिटी को भी प्रभावित कर सकते हैं. प्रोफेसर ने यह भी कहा कि अभी तक इस मेंटल हेल्थ स्थिति की जांच के लिए कोई यूनिवर्सल तरीके विकसित नहीं किए गए हैं. उन्होंने आगे कहा कि मनोचिकित्सा और एंटी-डिप्रेशन इलाजों से मनोवैज्ञानिक खतरे को कम करने में मदद मिल सकती है, लेकिन इस क्षेत्र में और अधिक रिसर्च की आवश्यकता है.


क्या कहते हैं एक्सपर्ट
अध्ययन के मुख्य लेखक और रूसी चिकित्सा विज्ञान अकादमी के ऑन्कोलॉजी, रेडियोलॉजी और पैलिएटिव केयर विभाग के प्रोफेसर ने कहा कि अभी तक इस मानसिक स्वास्थ्य स्थिति की जांच के लिए कोई यूनिवर्सल तरीके विकसित नहीं किए गए हैं. साइकोथेरेपी और एंटी-डिप्रेशन इलाजों से साइकोलॉजिकल संकट को कम करने में मदद मिल सकती है. उन्होंने आगे बताया कि हालांकि, इस क्षेत्र में अभी और ज्यादा रिसर्च की जरूरत है.


कैंसर में मेंटल हेल्थ का ख्याल महत्वपूर्ण
यह अध्ययन इस बात को रेखांकित करता है कि कैंसर का इलाज सिर्फ शारीरिक उपचार तक ही सीमित नहीं होना चाहिए बल्कि इसमें मेंटल हेल्थ का ख्याल रखना भी उतना ही महत्वपूर्ण है. डिप्रेशन जैसी मानसिक स्थिति का समय पर पता लगाकर उसका इलाज करना ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रही महिलाओं के लिए बेहतर हेल्थ रिजल्ट की ओर ले जा सकता है.