Akbar ke Navratna: जब हम भारत का इतिहास पढ़ते हैं तो उसमें सबसे दिलचस्प इतिहास मुगल बादशाहों का आता है. उनमें से अकबर सबसे मशहूर बादशाह हुए. अकबर के नवरत्नों की काबिलियत के किस्से दुनियाभर में लोगों के बीच खूब मशहूर थे. उनमें एक नवरत्न थे मुल्ला दो प्याजा. हालांकि उनका असली नाम अब्दुल हसन था. अब्दुल हसन के पिता एक स्कूल मास्टर थे. हसन को किताबों से खूब लगाव था. अपनी सफलता के लिए वह हमेशा ही प्रयासरत रहें और अपने मेहनत के दम अब्दुल हसन अकबर के नवरत्नों में शामिल होने में सफल रहे थे.


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कैसे बने मुल्ला दो प्याजा


मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अब्दुल ने अपना काम शाही परिवार के मुर्गीखाने से शुरू किया था. इस दौरान अपनी बुद्धिमानी से अब्दुल ने मुर्गीयों पर आने वाले खर्च में काफी कटौती की. इस बचत से बादशाह काफी ज्यादा खुश हो गए. इसके बाद अब्दुल को शाही पुस्तकालय का प्रभारी बना दिया गया. एक बार इनकी मुलाकात अकबर के नवरत्न फैजी से हुई. फैजी ने अब्दुल को दावत पर बुलाकर उनके लिए मुर्ग गोश्त पेश किया. अब्दुल को ये दावत बहुत पसंद आई. फैजी ने उनके सामने यह पकवान मुर्ग दो प्याजा नाम से सामने पेश किया था. इसके बाद इसी पकवान को अकबर से सामने पेश किया गया. उसके स्वाद के अकबर दिवाने हो गए और फिर अब्दुल हसन को अकबर ने‘दो प्याजा’ की उपाधि से नवाजा क्योंकि इस पकवान को अकबर के सामने पेश करने वाले अब्दुल हसन ही थे.


मुल्ला दो प्याजा भी काफी बुद्धिमान थे और अक्सर अपने कामों से वह बादशाह को हैरान कर देते थे. नवरत्नों में शामिल होने से पहले मुल्ला दो प्याजा को पुस्तकालय का प्रभारी बनाया गया था तब उन्होंने अपने काम से बादशाह को खुश कर दिया था जिसके बाद उनको दरबार के नवरत्नों में शामिल कर दिया गया था.


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