How AI is Helping Doctors to Manage Patients: भारत में डॉक्टर्स और मरीज का रेशियो काफी कम है जो एक चिंता का विषय है. इसकी वजह से मेडिकल फील्ड के कर्मचारियों पर हद से ज्यादा दबाव बढ़ जाता है, उन्हें कम वक्त में ज्यादा पेशेंट को ट्रीट करना पड़ता है. इस कंडीशन की वजह से डॉक्टर्स अक्सर थकान का सामना करते हैं, या फिर गलतियों की आशंकाएं काफी बढ़ जाती है. कई बार गलत जानकारी इकट्ठा होने के कारण मरीज की मेडिकल हिस्ट्री तैयार करने में चूक हो जाती है, लेकिन इस चुनौती से भरे माहौल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence)  एक उम्मीद की किरण के रूप में सामने आ रहा है जिससे हेल्थकेयर इंडस्ट्री में क्रांतिकारी बदलाव की उम्मीद बढ़ गई है. 


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एआई कैसे करता है काम?


एआई-पावर्ड डिजिटल टूल्स के इंटीग्रेशन के बाद प्रोडक्टिविटी बढ़ने लगी है, साथ ही डाइगनोसिस की मात्रा में भी इजाफा देखने को मिला है, इसके कारण बड़ी आबादी के लिए बेहतर हेल्थकेयर सुविधाएं हासिल की जा सकेंगी. इस टूल्स में इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिकॉर्ड्स (EMRs), चैटबॉट्स, क्लीनिकल डिसीजन सपोर्ट सॉफ्टवेयर, डिफ्रेंशियल डाइनोसिस (DDx) और नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (NLP) काफी असरदार साबित हो रहा है. इन तकनीकों से एक्स-रे और एमआरआई स्कैन जैसे सटीक विश्लेषण वाले इमेज हासिल हो रहे हैं.डॉ. सिद्धार्थ नायक (Dr. Siddharth Nayak) के मुताबिक,"एआई और मेडिसिन के कॉम्बिनेशन का मकसद डॉक्युमेंट-इंटेंसिव प्रॉसेस को स्ट्रीमलाइन करना और डॉक्टर्स को मरीजों के एरर फ्री जानकारी मुहैया कराना है, जिससे हेल्थकेयर सर्विसेस की इफिशिएंसी और क्वालिटी बेहतर होगी"


भारतीय हेल्थकेयर सिस्टम के लिए AI कितना जरूरी?
'हेल्थपिक्स टेक्नोलॉजी' के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर चैतन्य राजू (Chaitanya Raju) के मुताबिक "मौजूदा वक्त में हेल्थकेयर कर्मचारियों और डॉक्टर्स के लिए सबसे मूलभूल चुनौती ये है कि वो एआई पावर्ड टूल्स के साथ अनुकूल नहीं हो पा रहे हैं. ये वो चिकित्सक हैं जो देश के हेल्थकेयर सिस्टम की रीढ़ हैं, इसका असर डिलिवरी स्केल में साफ देखा जा सकता है. अगर हम एआई पावर्ड टूल्स को और डेवलप करेंगे तो डाइगनोसिस रेट और रिजल्ट बड़े स्तर पर बेहतर हो जाएगा. एआई की मदद से बीमारियों का जल्दी पता लगाना, वक्त पर इलाज करना, पेशेंट के ऊपर सर्जरी का बोझ कम करना और स्पेशियलिस्ट का कंसल्टेशन दिलाना जैसे काम को अंजाम दिया जा सकता है. भारत जैसे इमर्जिंग इकॉनमी जहां स्पेशियलाइज हेल्थकेयर की कमी है, ये कदम बेहद जरूरी है"


क्या एआई छीन लेगा डॉक्टर्स की जॉब?
एआई की क्षमता का उचित उपयोग निस्संदेह हेल्थकेयर इंडस्ट्री के लिए एक वरदान है. हालांकि, इस गलतफहमी को दूर करना ज़रूरी है कि एआई डॉक्टरों और नर्सों की जगह ले लेगा. डॉ. सिद्धार्थ ने साफ तौर से कहा कि एआई को एक मूल्यवान सहायता के रूप में देखा जाना चाहिए, जो निदान, उपचार योजना और जोखिम पहचाना सहित स्वास्थ्य देखभाल के तामात पहलुओं में चिकित्सा से पेशेवरों की मदद करता है. जबकि एआई में हेल्थकेयर सिस्टम को बेहतर करने की जबरदस्त क्षमता है, इसे रोगियों की देखभाल में मानवीय स्पर्श को बचाते हुए हेल्थ एक्सपर्ट के साथ मिलकर काम करना चाहिए. एआई और स्वास्थ्य सेवा के बीच साझेदारी को अपनाकर, हेल्थकेयर सिस्टम और पेशेंट मैनेजमेंट के लिए नए मानक स्थापित कर सकती है, जिससे आखिरकार लोगों और समुदायों को समान रूप से फायदा मिलेगा.