How To Deal With Exam Stress: मौजूदा जनेरेशन के बच्चों को परीक्षा की चिंता तो है, लेकिन वो मेंटल हेल्थ को तरजीह देते हैं. हालांकि उनके ऊपर अच्छे रिजल्ट लाने का प्रेशर जरूर होता है. एग्जाम स्ट्रेस के कारण काफी स्टूडेंट्स सुसाइड कर लेते हैं. खासकर राजस्थान के कोटा जिले में काफी बच्चे कॉम्पिटिटिव एग्जाम्स के लिए घर से दूर आते हैं, लेकिन माता-पिता की उम्मीदों पर खरा न उतरने की वजह से अपनी जिंदगी खत्म कर लेते है. इसलिए छात्रों के जीवन में लचीलापन और संतुलन को बढ़ावा दिया जा रहा है


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बच्चों पर होता है दबाव


हमारे समाज में बच्चों को बताया जाता है कि अगर परीक्षा में अच्छे अंक न ला पाए तो करियर में पिछड़ना पड़ सकता है और फिर पैसे कमाने की उम्मीद सीमित हो जाएगी. भले ही ये पूरी तरह सच न हो, लेकिन बच्चों को इस बात का पुख्ता यकीन दिलाया जाता जो नके दिमाग पर अनचाहा दबाव महसूस कराता है.


एग्जाम स्ट्रेस को कैसे डील करें?


आजकल कई माता-पिता अपने बच्चों पर दबाव डाल रहे हैं और उन्हें मजबूर कर रहे हैं और परीक्षा जैसे कठिन समय में अपने बच्चों की मदद नहीं करते हैं. पैरेंट्स को अपने बच्चों को लेकर ओपन होना पड़ेगा और कहना पड़ेगा कि वो खुलकर अपनी परेशानी बता सकते हैं और रो सकते हैं. मशहूर साइकोलोजिस्ट और 'काउंसेल इंडिया' के फाउंडर बॉबी ठाकुर (Bobby Thakur) ने बताया क कि एग्जाम स्ट्रेस को कैसे दूर किया जा सकता है.


 


1. टाइम मैनेजमेंट (Time Management)


स्टूडेंट्स को ये सिखाया जाना चाहिए कि प्रैक्टिकल स्टडी प्लान कैसे तैयार करें जिसमें ब्रेक और फन टाइम भी शामिल हो. हर टॉपिक के लिए अलग-अलग टाइमटेबल हो. इससे टाइम मैनेज होगा और परीक्षा की तैयारियों के लिए अच्छा वक्त मिलेगा


 


2. हेल्दी लाइफस्टाइल (Healthy Lifestyle)


हमें ये समझना होगा कि एग्जाम के टाइम पर हेल्दी लाइफस्टाइल कितना जरूरी है. अपने बच्चों को मोटिवेट करें की वो सेहतमंद भोजन करें, एक्सराइज करें और 7 से 8 घंटे की नींद लें. अगर आपकी नींद पूरी होगी तभी स्ट्रेस को मैनेज कर पाएंगे.



3. माइंडफुलनेस और रिलैक्सेशन टेक्निक्स (Mindfulness and Relaxation Techniques)


अपने बच्चों को माइंडफुलनेस और रिलैक्सेशन टेक्निक्स की प्रैक्टिस कराएं, जैसे- प्रोग्रेसिव बॉडी रिलैक्सेशन, गहरी सांस लेना और दवाएं खाना. इन तरीकों की मदद से एंग्जायटी कम हो सकती है और स्टडी के लिए कंसंट्रेशन में मदद मिलती है 


4. खुद से पॉजिटिव बातचीत (Positive Self-Talk)


स्टूडेंट्स को इस बात के लिए ट्रेन किया जाना चाहिए कि वो नेगेटिव टॉक से बचें और इसे पॉजिटिव बातचीत में बदलें. उन्हें बताएं कि मिस्टेक नॉर्मल है और ये लर्निंग और ग्रोइंग का हस्सा है जिससे मुश्किलों को पार पाने में मदद मिलती है.



5. सपोर्ट की तलाश करें (Seek for Support)


छात्रों को इस बात की याद दिलाते रहें कि आप अपने बड़ों या किसी एक्सपर्ट की सलाह या सपोर्ट ले सकते हैं. आजकल कई स्कूल काउंसलिंग सर्विस देते हैं खासकर परीक्षा के समय जब स्टूडेंट्स को एक्ट्रा असिस्टेंस की जरूरत पड़ती है.



6. बैलेंस्ड पर्सपेक्टिव (Balanced Perspective)


अपने बच्चों को गाइड करें कि वो एग्जाम के दौरान बैलेंस्ड पर्सपेक्टिव को ध्यान में रखकर लिखें, हालांकि ये जरूरी नहीं है कि ये भविष्य में उनकी कामयाबी तय करेगा. छात्रों को केवल परीक्षा परिणामों पर ही ध्यान केंद्रित न करने, बल्कि अपनी कोशिशों और उन्नति पर भी फोकस करने के लिए एनकरेज करें.