Ayurvedic Ways to Maintain Menstrual Health: भारत में महिलाओं को अक्सर पीरियड के दौरान क्रैम्पस वाली चुनौती का सामना करना पड़ता है. इस दर्द से गुजरने वाली ज्यादातर महिलाओं को मेडिकेशन का सहारा लेना पड़ता है. हालांकि ओवर द काउंटर मेडिकेशन से साइड इफेक्ट्स की आशंका बनी रहती है, इसलिए पेनकिलर खाने से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी पड़ती है. हाल में संसद से लेकर सोशल मीडिया पर पेड मेंस्चुरल लीव को लेकर बातें हो रही है,लेकिन क्या दर्द से राहत पाने का कोई और सुरक्षित तरीका मौजूद है?


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आयुर्वेद के जरिए  क्रैम्पस से कैसे मिलेगी राहत?
ऐसे हालात में जहां महिलाएं लगातार परेशानी और पारंपरिक समाधानों की सीमाओं से जूझ रही हैं, वैकल्पिक तरीकों की मांग पहले से कहीं ज्यादा जरूरी हो गई है.  'हेम्पस्ट्रीट' की सीनियर आयुर्वेदिक एक्सपर्ट, डॉ. पूजा कोहली (Dr. Pooja Kohli)ने बताया कि आयुर्वेद के जरिए पीरियड क्रैम्पस से राहत पाई जा सकती है. इसमें रूट काउज अप्रोच पर फोकस किया जाता है, जिनमें नेचुरल रेमेडिज, सही डाइट और हेल्दी लाइफस्टाइल प्रैक्टिसेज शामिल हैं.


1. घरेलू आयुर्वेदिक उपचार
आयुर्वेद विज्ञान हार्मोनल संतुलन बनाए रखने के लिए पौष्टिक आहार का समर्थन करता है. मेंस्चुरल हेल्थ को बेहतर बनाने में अदरक, हल्दी और तिल जैसे सुपरफूड्स पर जोर दिया जाता है. इनके अलावा आम रसोई की जड़ी-बूटियों जैसे मेथी के बीज, अजवाइन और गुड़ भी पीरियड क्रैम्पस को कम करने के लिए एक कारगर हर्बल उपचार हैं.


2. योग 
खास योगासन जैसे बालासन (Balasana), बद्ध कोणासन (Baddha Konasana), उत्तानासन (Uttanasana) और प्राणायाम (Pranayama) मासिक धर्म की परेशानी को कम कर सकते हैं, तनाव को घटाते हैं और ओवरऑल सर्कुलेशन में सुधार कर सकते हैं और बेहतर मासिक धर्म चक्र में योगदान दे सकते हैं.


3. आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का प्रयोग
विजया, अश्वगंधा और शतावरी जैसी जड़ी-बूटियां मेंस्चुरल प्रॉब्लम्स को दूर करने के लिए जानी जाती हैं.कई स्टडीज से पता चलता है कि विजय को सेवन से कम या न के बराबर साइड इफेक्ट्स सामने आए हैं. ऐसे में कहा जा सकता है कि ये जड़ी डिसमेनोरेआ (Dysmenorrhea) में भी मददगार हैं.


4.माइंड-बॉडी रिलेशनशिप पर काम करें
आयुर्वेद विज्ञान इमोशन और मेंस्चुरल हेल्थ बीच के गहरे रिश्ते को पहचानता है. मेडिटेशन और माइंडफुलनेस सहित स्ट्रेस मैनेजमेंट पर जोर दिया जाता है. मेंस्चुरल साइकल के दौरान इमोशनल वेल बीइंग जरूरी है. ऐसे में प्रोपर रेस्ट और सेल्फ केयर पर ध्यान दिया जाना चाहिए.


Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.