How To Take Care If Your Child Is Autistic: ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर यानी एसीडी वो न्यूरोबायोलॉजिकल कंडीशन है जिसमें बच्चे को कम्यूनिकेशन इश्यूज, वर्बल स्किल की कमी और कई इंटेलेक्चुअल डिसेबलिटी के शिकार होते हैं. हर बच्चे को यूनिक एसीडी हो सकती है,  वो पूअर आई कॉन्टैक्ट, रिपीटेटिव बिहेवियर, सोशल बीहेवियर को समझने में दिक्कतों का सामना कर सकते हैं. सेंसरी सेंसिटिविटी भी कॉमन हैं जैसे मामलू चीजों जैसे साउंड, टच या महक को महसूस करते ही स्ट्रांगली रिएक्ट करना वगैरह.


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ऑटिस्टिक चाइल्ड की देखभाल


सीके बिड़ला हॉस्पिटल दिल्ली में नियोनेटोलॉजी एंड पिडियाट्रिक्स की डायरेक्टर डॉ. पूणम सिदाना (Dr. Poonam Sidana) के मुताबिक ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर से पीड़ित बच्चों की देखभाल करने वाले माता-पिता के लिए, समझ और सपोर्ट सबसे जरूरी हैं. हर बच्चे की ताकत और चुनौतियों की पहचान करने के लिए डॉक्टर और पीडियाट्रिशियन के साथ सहयोग करना अहम है. उनकी समझ के स्तर के हिसाब से क्लीयर और स्टेप बाई स्टेप इंस्ट्रक्शन देना जरूरी है. इसके अलावा, उनके पास किसी भी खास एबिलिटी को पहचानना और पोषण करना उनके विकास में मदद कर सकता है.


ऑटिस्टिक चाइल्ड की केयर में रोजाना कंसिस्टेंसी बनाए रखना जरूरी है, क्योंकि अचानक होने वाले बदलावा से डिस्ट्रेसिंग रिएक्शंस ट्रिगर हो सकते हैं. पैरेंटल सपोर्ट ग्रुप को ज्वॉइन करना चाहिए जिससे जरूरी टिप्स और इमोशनल सपोर्ट मिल सके. जब आपके बच्चे को ओवरव्हेलमिंग सेंसरी मोमेंट का अहसास हो तो उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए उन्हें स्वयं शांत होने देना जरूरी है. मिसाल के तौर पर सिर हिलाने जैसे स्टिमुलेटिंग बिहेवियर के तौर हार्ट सर्फेसेज की जगह पर सॉफ्ट चीजें देना


पैरेंट्स खुद का भी रखें ख्याल


ऑटिस्टिक चाइल्ड के माता-पिता के लिए खुद का ख्याल रखना भी जरूरी है. आप पर्सनल हेल्थ और वेल बीइंग को तरजीह दें, ऐसे में आप कुछ एक्सरसाइज और मेडिटेशन कर सकते हैं. आप अपने परिवार और करीबियों के साथ बातचीत जरूर करें इससे आपको चुनौतियों का सामना करने में मदद मिलेगी. कई समुदायो और संस्थानों में बेबी सिटिंग का इंतेजाम किया जा सकता है, जिससे पैरेंट्स को मदद मिल सके


लक्षणों को पहचानें


भाई-बहनों में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर दोबारा होने की आशंकाओं को समझना और उनके शुरुआती संकेतों को पहचानना जरूरी है, जैसे कि सोशल स्माइल में देरी करना, या फिर नाम पुकारने पर रिस्पॉन्ड न करना वगैरह.कुछ बिहेवियर जैसे किसी समान या जगह से खुद को फिक्स कर लेना, अपने साथियों के साथ बातचीत करने में दिक्कतों का सामना करना शामिल हैं.

 


Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.