मां बनना दुनिया का सबसे खूबसूरत एहसास माना जाता है, मगर जिदगी का ये पन्ना सिर्फ गुलाबों का नहीं होता, इसमें कांटे भी छिपे होते हैं. पोस्टपार्टम डिप्रेशन (postpartum depression) उन्हीं कांटों में से एक है, जो कई नई माओं को घेर लेता है. लेकिन हौसला बुलंद हो तो हर मुश्किल का सामना किया जा सकता है. इसी हौसले की मिसाल हैं इलियाना डी'क्रूज़ और मीरा राजपूत, जिन्होंने पोस्टपार्टम डिप्रेशन से अपनी लड़ाई को दुनिया के सामने शेयर किया.


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इलियाना ने एक इंटरव्यू में बताया कि कि बेटे के जन्म के बाद वो इस डिप्रेशन के चंगुल में फंस गई थीं. सोशल मीडिया पर उनके शब्दों में उदासी और समाज के झूठे मानकों का बोझ झलकता था. इलियाना की हिम्मत ने औरतों को खुलकर बोलने की ताकत दी, उनके अनुभवों ने ये बताया कि खुशियों के बने फ्रेम के पीछे भी छिपे दर्द को समझना जरूरी है.


दूसरी तरफ, मीरा राजपूत ने भी बेटे के जन्म के बाद अपने अनुभवों को शेयर किया. उन्होंने बताया कि कैसे बच्चे के जन्म के बाद खुशी से झूमने की उम्मीद के पीछे छिपा था गिल्ट फीलिंग और डॉक्टरी मदद लेने का संकोच. मीरा की कहानी उन हजारों औरतों की आवाज बनी, जो इसी दौर से गुजर रही थीं.


पोस्टपार्टम डिप्रेशन में बात करना आसान नहीं
पोस्टपार्टम डिप्रेशन के बारे में खुलेआम बात करना आसान नहीं है. समाज का एक बड़ा तबका आज भी मेंटल हेल्थ की बातों को छिपाने का दबाव बनाता है. इलियाना और मीरा ने ऐसे में अपनी कहानियां सुनाकर न सिर्फ इस विषय पर बातचीत शुरू की, बल्कि इसे स्वीकारने और उससे लड़ने का हौसला भी दिया. मां बनने का सफर आसान नहीं, इस दौरान हर औरत को सहारे की जरूरत होती है. इलियाना और मीरा ने ये भी जोर दिया कि परिवार, दोस्त और डॉक्टर मिलकर बना एक मजबूत सहारा इस कठिन रास्ते को आसान बना सकता है.


सामने लाकर लड़ने की जरूरत
इलियाना और मीरा की कहानियां हर उस मां के लिए उम्मीद की किरण हैं, जो पोस्टपार्टम डिप्रेशन से जूझ रही हैं. उनके अनुभव बताते हैं कि ये एक आम चुनौती है, जिसे छिपाने की नहीं, सामने लाकर लड़ने की जरूरत है. आइए, इन कहानियों से सीख लेकर मिलकर ऐसा माहौल बनाएं, जहां हर मां को सहारा मिले और वो बेफिक्र होकर अपने अनोखे मातृत्व की यात्रा तय कर सके.