WHO On Powder Milk: विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लैंसेट में छपी एक रिसर्च के जरिए सावधान किया है. WHO ने कहा है कि बेबी फूड यानी फॉर्मूला मिल्क बनाने वाली कंपनियां मार्केटिंग का सहारा लेकर स्तनपान कराने से महिलाओं को रोक रही हैं और फॉर्मूला मिल्क यानी बच्चों के पाउडर वाले दूध के फायदे गिनाकर भ्रम फैला रही हैं. इस प्रैक्टिस को रोके जाने की जरूरत है.  


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

WHO ने दी चेतावनी 


WHO ने चेतावनी भी दी है कि नियमों के मुताबिक, 6 महीने की उम्र तक बच्चों को केवल मां का दूध ही दिया जाना चाहिए, कुछ और नहीं. लेकिन आधे बच्चों के मामले में ऐसा नहीं होता. इसके अलावा जन्म लेने के पहले घंटे में ही मां का दूध बच्चे को पिलाया जाना चाहिए. लेकिन केवल 50% मामलों में ही ऐसा हो पाता है.  


नवजात बच्चे के लिए मां का दूध ही सर्वोत्तम आहार है. ये लाइन सरकार ने कितनी बार और कई तरीकों से बेचने की कोशिश की है. लेकिन इस पर डिब्बाबंद दूध बेचने वालों की मार्केटिंग भारी पड़ रही है. WHO और Lancet ने अपनी रिपोर्ट में ये खुलासा किया है.  


फॉर्मूला मिल्क को ब्रेस्ट मिल्क का विकल्प माना जाता है. दुनियाभर में फॉर्मूला मिल्क का बाजार 55 बिलियन डॉलर से बड़ा है यानी करीब 41 खरब रुपये का कारोबार है. फॉर्मूला मिल्क गाय के दूध को प्रोसेस करके बनाया जाता है, जिससे बच्चे की किडनी उसे पचा सके. डिब्बा बंद पाउडर वाला ये दूध ब्रेस्ट मिल्क का विकल्प माना जाता है लेकिन एक्सपर्ट्स की राय में ऐसा केवल इमरजेंसी में यूज करना चाहिए. 


शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ विवेक गोस्वामी के मुताबिक सिर्फ मां के दूध में ही सबसे ज्यादा पोषक तत्व होते हैं. माताओं को ये विश्वास दिलाना चाहिए कि वो बच्चे की जरूरत के मुताबिक पर्याप्त दूध दे भी सकती हैं और बच्चे को पिला भी सकती हैं. कई बार माताएं डर, संकोच और जानकारी की कमी की वजह से ऐसा सोचने लगती हैं कि वो ये काम सही तरीके से नहीं कर पाएंगी.  


मिल्क बैंक भी है विकल्प 


डॉक्टरों का मानना है कि अगर किसी मेडिकल वजह से मां बच्चे को दूध नहीं पिला पा रही तो मिल्क बैंक के विकल्प को तलाशना चाहिए. जिन माताओं को दूध ज्यादा बनता है वो उसे स्टोर करके मिल्क बैंक में डोनेट कर सकती हैं. हालांकि ये कॉन्सेप्ट नया है और अभी महानगरों मे ऐसे एकाध बैंक ही मौजूद हैं. ऐसे में किसी बीमारी में या कम प्रोडक्शन होने की वजह से अगर मां बच्चे को दूध नहीं पिला पाती तो ही फॉर्मूला मिल्क के विकल्प के बारे में सोचना चाहिए.  


फॉर्मूला मिल्क परोसने का सच  


पिछले साल फरवरी में जारी एक रिसर्च में WHO ने बताया था कि यूनिसेफ के साथ मिलकर एजेंसी ने  8500 माता-पिता के इंटरव्यू और 300 हेल्थ केयर वर्कर्स के इंटरव्यू किए. ये इंटरव्यू बांग्लादेश, मेक्सिको, मोरक्को, नाइजीरिया, दक्षिण अफ्रीका, चीन, यूनाइटेड किंगडम और वियतनाम में किए गए थे.    


यूनाइटेड किंगडम में 84% माताओं को फॉर्मूला मिल्क की जानकारी थी. जबकि चीन में 97 प्रतिशत और वियतनाम में 92 प्रतिशत माताओं को फॉर्मूला मिल्क के बारे में बताया गया था. सर्वे में शामिल एक तिहाई महिलाओं ने बताया कि उन्हें किसी ना किसी हेल्थकेयर वर्कर ने ब्रांड का नाम लेकर फॉर्मूला मिल्क खरीदने और इस्तेमाल करने की सलाह दी.


बांग्लादेश में 98% तो मोरक्को में 49% महिलाएं केवल ब्रेस्टफीडिंग को ही बेहतर मान रही हैं. रिपोर्ट के मुताबिक कंपनियों के भ्रामक प्रचार ये बताते हैं कि जन्म के पहले दिन के बाद से ही फॉर्मूला मिल्क फायदेमंद होता है. ये भी प्रचार किया जाता है कि केवल स्तनपान से बच्चे का पेट नहीं भरता. दावा ये भी किया जाता है कि फॉर्मूला मिल्क के Ingredients बच्चे की इम्यूनिटी बढ़ाते हैं. फॉर्मूला मिल्क से बच्चे का पेट भर जाता है और ब्रेस्ट मिल्क की क्वॉलिटी समय के साथ साथ खराब हो जाती है. लेकिन सच कुछ और है.


स्तनपान से बच्चे को ये फायदे 


जन्म के पहले घंटे में स्तनपान बहुत जरूरी होता है. 6 महीने तक स्तनपान के अलावा बच्चे को किसी और चीज की जरूरत नहीं है. इससे जीवन भर के लिए बच्चे की इम्युनिटी की नींव मजबूत होती है और मोटापे से भी बचाव होता है. स्तनपान को बच्चे की पहली वैक्सीन कहा जाता है. इसमें मौजूद तत्व बच्चे को जन्म के समय की कई बीमारियों से बचाने का काम करते हैं. अगर मां बच्चे को नियमित ब्रेस्टफीडिंग करवाती है तो मां को भविष्य में डायबिटीज, मोटापे और कैंसर का खतरा कम रहता है. लेकिन इन सब फायदों के बावजूद केवल 44% बच्चों को 6 महीने की उम्र तक स्तनपान नसीब हो पाता है. पिछले दो दशक में स्तनपान तो नहीं बढ़ा लेकिन इसी वक्त में फॉर्मूला मिल्क की सेल दोगुने से ज्यादा बढ़ गई है.  


हिंदी ख़बरों के लिए भारत की पहली पसंद ZeeHindi.com - सबसे पहले, सबसे आगे