How To Get Rid Of Postpartum Depression: दिल्ली के पास ग्रेटर नोएडा में एक 33 साल की मां अपने 6 महीने के बच्चे के साथ अपार्टमेंट की 16वीं मंजिल से कूद गई, जिसके कारण दोनों की तत्काल मौत हो गई. पुलिस के मुताबिक महिला ड्रिपेशन की शिकार थी. ये घटना मंगलवार की रात हाउसिंग सोसाइटी में हुई. पुलिस ने बताया, 'ये महिला सोसाइटी में अपने परिवार के साथ रह रही थी वो बीमार थी और अवसाद का सामना कर रही थी.' मामले में बाकी कानूनी कार्रवाई स्थानीय थाने में की जा रही है. 


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सुसाइड पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
भारत के मशहूर क्लीनिकल साइकोलोजिस्ट (Clinical Psychologist) टीपी जवाद (TP Jawad) का मानना है कि इस तरह के सुसाइड को रोका जा सकता है, अगर परिवार के लोग सही तरीके से ध्यान दें और बिहेवियरल चेंजेज को नोटिस करें. जवाद ने कहा, हर महिला पोस्टपार्टम डिप्रेशन (Postpartum Depression) से गुजर सकती है, भले ही उसकी उम्र, मेरिटल स्टेटस, एजुकेशन लेवल और सोशियोइकॉनमिक स्टेटस जो भी है. हलांकि कई ऐसे फैक्टर्स हैं जो इस तरह के डिप्रेशन की वजह बन सकते हैं, जो इस प्रकार हैं.


1. प्रिनेटल डिप्रेशन
आमतौर पर जो महिला प्रेग्नेंसी के दौरान डिप्रेशन से गुजरती हैं, उनमें  पोस्टपार्टम डिप्रेशन की आशंक काफी ज्यादा बढ़ जाती है. कुछ मांओ को गर्भावस्था के दौरान एंग्जायटी का भी सामना करना पड़ता है.


2. पुराना डिप्रेशन
हालांकि ये जरूरी नहीं है कि पुराना डिप्रेशन प्रेग्नेंसी के दौरान अवसाद का कारण बने, लेकिन इसकी वजह से पोस्टपार्टम डिप्रेशन का रिस्क जरूर हाई होता है.


3. डिलिवरी के दौरान परेशानी
महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान और डिलिवरी के वक्त काफी दर्द और परेशानी का सामना करना पड़ता है, जिसके कारण पोस्टपार्टम डिप्रेशन का चांस बढ़ जाता है


4. सोशल और फैमिली सपोर्ट की कमी
ये मांओं के लिए डिप्रेशन के सबसे बड़े कारणों में से है, जब परिवार, पार्टनर, या सोसाइटी का सपोर्ट न हो तो अवसाद होना लाजमी है. आमतौर पर ऐसा सिंगल पैरेंटिंग के दौरान होता है, ऐसे में वूमेन को चाइल्ड केयर स्ट्रेस से भी गुजरना पड़ता है.


5. अनवांटेड प्रेग्नेंसी
कई महिलाएं न चाहते हुए भी या फिर पति/पार्टनर के दवाब में प्रेग्नेंट होती हैं, ऐसे में उन्हें चाइल्ड केयर करना मजबूरी लगता है. आधे मन स


ग्रेटर नोएडा जैसी घटनाओं से कैसे बचें?
क्लीनिकल साइकोलोजिस्ट टीपी जवाद के मुताबिक, मां बनने के बाद अगर कोई महिला डिप्रेशन का सामना कर रही है, तो उन्हें हर 3 महीने में साइकोलोजि से गुजरना चाहिए. इसमें मेंटल सपोर्ट, रिलैक्सेशन ट्रेनिंग, सोशल सपोर्ट, फैमिली सपोर्ट देने से  पोस्टपार्टम डिप्रेशन के रिस्क को घटाया जा सकता है. हालांकि डिप्रेशन को दूर करने के लिए मेडिसिन दी जा सकती है, लेकिन इसमें काफी लिमिटेशंस हैं. हालांकि मौजूदा दौर में ऐसी दवाइयां मौजूद हैं जिसमें साइड इफेक्ट्स का खतरा कम होता है.

Disclaimer: प्रिय पाठक, संबंधित लेख पाठक की जानकारी और जागरूकता बढ़ाने के लिए है. जी मीडिया इस लेख में प्रदत्त जानकारी और सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है. हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित समस्या के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें. हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है.