भारत में बढ़ते प्रदूषण, बदलती जीवनशैली और खान-पान की आदतों के कारण डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि डायबिटीज से पहले एक और स्टेज होती है, जिसे प्रीडायबिटीज कहते हैं? यह वो समय होता है जब शरीर में इंसुलिन ठीक से काम नहीं करता है और ब्लड शुगर लेवल बढ़ने लगता है, लेकिन अभी तक डायबिटीज का स्तर नहीं पहुंचा होता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, भारत में 18 साल से ज्यादा उम्र के करीब 25 मिलियन लोग प्रीडायबिटीज के शिकार हैं. लेकिन दुर्भाग्य से, देश में इस बारे में जागरूकता बहुत कम है.


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लीना डायबिटीज केयर और मुंबई डायबिटीज रिसर्च सेंटर में डायरेक्टर सलाहकार डायबिटीज एक्सपर्ट डॉ. मनोज चावला बताते हैं कि भारत में सदियों से अकाल और भूखमरी रही है, जिसकी वजह से हमारे शरीर ने खुद को ‘स्टार्वेशन मोड’ में डाल लिया है. इसका मतलब है कि हमारा शरीर चर्बी को जलाने की बजाय उसे जरूरी अंगों के आसपास जमा करता है. इससे डायबिटीज और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. इसके अलावा, कम व्यायाम और ज्यादा कार्बोहाइड्रेट और मीठी चीजों का सेवन भी प्रीडायबिटीज को बढ़ावा देता है.


प्रीडायबिटीज से जुड़े खतरे
प्रीडायबिटीज को अनदेखा करना बहुत खतरनाक हो सकता है. शोध बताते हैं कि प्रीडायबिटीज और दिल की बीमारियों के बीच गहरा संबंध है. इसलिए, समय रहते जागरूक होना जरूरी है. अगर आपको प्रीडायबिटीज का खतरा है तो आपको न सिर्फ अपने खान-पान और जीवनशैली पर ध्यान देना चाहिए, बल्कि डॉक्टर की सलाह पर दवा भी लेनी चाहिए. प्रीडायबिटीज का एक और नुकसान यह है कि इसका इलाज कराना डायबिटीज के इलाज से काफी सस्ता होता है. इसलिए, शुरुआती स्टेज में ही इस पर ध्यान देना बेहतर है.


प्रीडायबिटीज से बचाव के फायदे
प्रीडायबिटीज को गंभीरता से लेने से आपको कई फायदे हो सकते हैं. एक हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने से आप न सिर्फ डायबिटीज से बच सकते हैं, बल्कि अन्य बीमारियों से भी दूर रह सकते हैं. इससे आपकी एनर्जी बढ़ेगी, आपका मूड अच्छा रहेगा और आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा. महिलाओं के लिए भी यह बहुत फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि इससे हार्मोनल असंतुलन और पीसीओएस जैसी समस्याओं से लड़ने में मदद मिल सकती है.