बच्चों के विकास में परिवार की अहम भूमिका होती है. हमेशा से ही बड़े-बूढ़ों के बीच बच्चों के पालन-पोषण को अहमियत दिया जाता रहा है. लेकिन आज के समय में न्यूक्लियर फैमिली का कॉन्सेप्ट बहुत ज्यादा बढ़ गया है. जहां कपल परिवार से अलग रहकर अपना परिवार शुरू करते हैं.  


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इसमें कोई दोराय नहीं कि इस तरह से रहने पर पति-पत्नी को एक-दूसरे के साथ बिताने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है. लेकिन बच्चों के परवरिश के नजरिए से एकल परिवार बहुत आदर्श नहीं होते हैं. ऐसा क्यों है? इसे आप यहां रिलेशनशिप कोच और प्रिडिक्शन्स फॉर सक्सेस के फाउंडर विशाल भारद्वाज से समझ सकते हैं.


सामाजिक विकास में कमी

एकल परिवारों में, बच्चों को भाई-बहनों या अन्य बच्चों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने का अवसर कम मिलता है. इससे उनका सामाजिक विकास बाधित हो सकता है. वे सामाजिक कौशल विकसित करने, दोस्त बनाने और संघर्ष को सुलझाने में कठिनाई महसूस कर सकते हैं.


अकेलापन और तनाव

एकल परिवारों में, बच्चे अकेलेपन और तनाव का अनुभव कर सकते हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कम एकल परिवार में बच्चे के देखभाल करने और उनके साथ खेलने के लिए ज्यादा लोग नहीं होते हैं. यह तनावपूर्ण स्थितियों से निपटने और आत्म-सम्मान विकसित करने में उनकी क्षमता को प्रभावित कर सकता है.

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गलत व्यवहार

जब माता-पिता काम में व्यस्त होते हैं और बच्चों पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे पाते, तो वे गलत निर्णय ले सकते हैं या गलत व्यवहार में शामिल हो सकते हैं. वे ध्यान आकर्षित करने या मौज-मस्ती के लिए गलत जगहों पर जाना, गलत दोस्तों के साथ घूमना या जोखिम भरी गतिविधियों में शामिल होना शुरू कर सकते हैं.


ऐसे करें समस्या का समाधान

इन चुनौतियों का सामना करने के लिए, माता-पिता को अपने बच्चों के साथ गुणवत्तापूर्ण समय बिताने, उनका समर्थन करने और उन्हें स्वतंत्रता और जिम्मेदारी विकसित करने में मदद करने का प्रयास करना चाहिए. वे बच्चों को सामाजिक अवसरों और अन्य बच्चों के साथ बातचीत करने के अवसर प्रदान कर सकते हैं.