जब माता-पिता अलग होने का फैसला लेते हैं, तो इसका असर सिर्फ उन पर ही नहीं, बल्कि उनके बच्चों पर भी गहराई से पड़ता है. तलाक की प्रक्रिया और उसके बाद का माहौल बच्चों के लिए भावनात्मक रूप से काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है. 


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खासतौर पर यदि बच्चे की उम्र 6-12 साल के बीच है. इस उम्र में बच्चा जीवन के एक ऐसे पड़ाव पर होता है, जहां वह चीजों को बहुत अच्छी तरह से समझ नहीं पाता लेकिन उसके सवाल बहुत गहराई वाले होते हैं. साथ ही इस उम्र हर बच्चा दूसरों के सामने अपनी इमेज को लेकर भी बहुत गंभीर होता है. साथ ही इस उम्र में घटी अच्छी और बुरी घटनाएं उसे जीवन भर याद रहती है. इसलिए इस उम्र में पेरेंट्स को बहुत ही मिलजुल कर बच्चे की परवरिश करनी चाहिए ताकि वह इमोशनली हेल्दी रहे. 


कुछ ऐसा होता है बच्चों पर तलाक का प्रभाव


  1. तलाक की खबर सुनते ही बच्चे अक्सर असमंजस, गुस्सा, दुख, उदासी और भय जैसी भावनाओं का अनुभव करते हैं. उन्हें यह समझने में मुश्किल होती है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है और उनका भविष्य कैसा होगा. 

  2. माता-पिता का तलाक बच्चों में सुरक्षा की भावना को कमजोर कर सकता है. घर का माहौल तनावपूर्ण हो जाता है, जिससे बच्चे असुरक्षित महसूस करते हैं. उन्हें लग सकता है कि उनका परिवार टूट रहा है और उनके भरोसे करने लायक कोई नहीं बचा.

  3. तलाक का असर बच्चों की पढ़ाई पर भी पड़ सकता है. वे कक्षा में ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई महसूस कर सकते हैं या उनका प्रदर्शन गिर सकता है. साथ ही स्कूल में अन्य बच्चों के साथ उनके संबंध भी प्रभावित हो सकते हैं.

  4. तलाक के बाद अक्सर बच्चों को माता-पिता दोनों के साथ कम समय बिताने का मौका मिलता है. इससे उनके रिश्तों में तनाव आ सकता है. बच्चे किसी एक माता-पिता को दोषी ठहरा सकते हैं या उनके बीच फंसे हुए महसूस कर सकते हैं.

  5. तलाक का अनुभव बच्चों में भविष्य को लेकर चिंता पैदा कर सकता है. उन्हें डर हो सकता है कि उनके साथ भी ऐसा ही होगा या फिर उन्हें कभी भी स्थायित्व नहीं मिलेगा. 

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जापान में आ सकता है ये कानून

बच्चों पर पड़ने वाले तलाक के नकारात्मक प्रभाव और सिंगल पेरेंटिंग के स्ट्रगल को खत्म के लिए जापान सरकार जल्द एक कानून पास करने वाली है. इसके तहत अलग होने के बाद भी माता-पिता को मिलजुल कर अपने बच्चे की परवरिश करनी होगी.