House Husband: भारतीय समाज में पारंपरिक रूप से पुरुषों को ही पैसा कमाने वाला मेंबर समझा जाता रहा है, और महिलाओं को घर संभालने की जिम्मेदारी दी जाती है. हालांकि आज के जमाने में वूमेन के रोल में तेजी से बदलाव देखा जा रहा है. मौजूदा दौर में कई ऐसे लड़के हैं जो घर संभालने और बच्चों की देखभाल करने को तरजीह दे रहे हैं, यानी कुल मिलाकर वो 'हाउस हस्बैंड' बनने को तैयार हैं और वाइफ को करियर में आगे बढ़ाने के लिए सपोर्ट कर रहे हैं. आखिर इस तरह के चेंज की वजह क्या है? आइए जानने की कोशिश करते हैं. 


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'हाउस हस्बैंड' बनने की वजह


1. जेंडर इक्वलिटी 
आज महिला और पुरुष दोनों ही शिक्षा और करियर के मामले में किसी से कम नहीं हैं, साथ ही इस बात की भी समझ बेहतर हुई है कि घर के काम जैसे खाना पकाना, बर्तन धोना या कपड़े साफ करना सिर्फ लड़कियों का काम नहीं है. इसलिए अगर ऐसे लड़के हाउस हस्बैंड बनते हैं तो उनको मेंटली उतनी परेशानी नहीं होती.


2. रोल चेंज
अगर किसी की वाइफ अपने करियर में कामयाब है और लगातार आगे बढ़ रही है, तो ऐसे में घर और बच्चों की जिम्मेदारी वो खुद पूरी तरह संभाल नहीं पाएंगे, इसलिए मौजूदा दौर में हाउस हस्बैंड का चलन बढ़ गया है. इससे शादीशुदा महिलाओं की करियर ग्रोथ आसान हो जाती है.


3. वाइफ की सरकारी नौकरी या ज्यादा इनकम
कई बार वाइफ सरकारी नौकरी करती है या फिर अपने पति से ज्यादा कमाने लगती है, ऐसे में परिवार में किसी तरह की पैसों की दिक्कत न आए, इसलिए कुछ लड़कों को हाउस हस्बैंड बनने में परेशानी नहीं होती, बल्कि वो इसे समझदारी भरा कदम मानते हैं.



4. परिवार और बच्चों के प्रति लगाव
कुछ लड़के स्वाभाविक रूप से परिवार और बच्चों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं और वो अपना समय घर और बच्चों के साथ बिताना चाहते हैं. हाउस हस्बैंड बनकर उन्हें वो राहत मिलती है जो वो नौकरी से हासिल नहीं कर पाते.


5. नौकरी से तंग आना
कुछ लड़के अपनी प्रोफेशनल लाइफ से इतना तंज आ जाते हैं, कि वो लाइफ में और ज्यादा वर्क प्रेशर झेलने को तैयार नहीं होते. उनकी ख्वाहिश रहती है कि शादी के लिए कोई ऐसी लड़की मिल जाए तो खुद कमाती हो और हस्बैंड से घर संभालने की उम्मीद रखती हो.