Stress Level In Psychotic Disorder: किसी भी इंसान की मानसिक स्थिति का सही होना बहुत जरूरी होता है. अन्य स्वास्थ्य की तरह ही व्यक्ति के दिमाग का ठीक रूप से काम करना आवश्यक होता है. हालांकि आजकल की लाइफस्टाइल को देखते हुए ये कहा जा सकता है, कई बातें और हालात ऐसे होते हैं जिसमें लोगों की मनोस्थिति बिगड़ जाती है. एक व्यक्ति जब अधिक तनाव और स्ट्रेस का शिकार हो जाता है, तो उसके दिमाग पर जिस तरह का असर पड़ता है उसे साइकोटिक डिसऑर्डर का नाम दिया गया है. 


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आज हम इस नई प्रकार की दिमागी बीमारी के बारे में बात करेंगे. साइकोटिक डिसऑर्डर में इंसान को अपने मन की तकलीफ का अंदाजा नहीं रहता है. इसमें इंसान हर वक्त बात-बात पर जरूरत से ज्यादा बेचैनी महसूस करने लगता है. इस ब्रेकडाउन में इंसान को ये नहीं पता होता कि उसपर क्या बीत रही है. इससे उभरने के लिए व्यक्ति को लंबा इलाज भी करवाना पड़ सकता है. इस किस्म के मनोविकार की एक बहुत बड़ी वजह तनाव भी है. आइये जानें साइकोटिक डिसऑर्डर होने पर पीड़ित व्यक्ति में किस तरह के बदलाव आते हैं...
 
साइकोटिक डिसऑर्डर के लक्षण
किसी इंसान में इस डिसऑर्डर के होने पर उसके व्यवहार में सबसे पहले एक बड़ा बदलाव आता है. व्यक्ति ज्यादातर भ्रम की स्थिति में रहता है. अगर कोई केस अधिक बिगड़ चुका है, तो ऐसे में व्यक्ति खुद को जरूरत से ज्यादा निराशा की ओर ढकेलने लगता है. उन्हें खुद की केयर का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रह जाता है. वह एक बेपरवाह इंसान की तरह होने लगता है. ये कुछ साइकोटिक डिसऑर्डर के लक्षण हो सकते हैं.
 
साइकोटिक डिसऑर्डर की वजह
इंसान में बढ़ता तनाव एक ऐसी वजह है जो साइकोटिक डिसऑर्डर को जन्म देता है. अनहेल्दी और अव्यवस्थित लाइफस्टाइल की वजह से इंसान के दिमाग में स्ट्रेस का लेवल बढ़ता जाता है. जिसे व्यक्ति इग्नोर भी करता है. कुछ केसेज में अगर कोई पुरानी चोट लगी है, तो इस डिसऑर्डर का कारण हो सकती है. बन सकती है. साइकोटिक डिसऑर्डर में इंसान को ठीक से नींद भी नहीं आती है.