शाकाहारी और कीटो डाइट से मजबूत होती है इम्यूनिटी; लेटेस्ट रिसर्च में हुआ खुलासा
एक नए अध्ययन में चौंकाने वाला खुलासा किया है कि शाकाहारी या कीटो डाइट का आपके इम्यून सिस्टम और आंतों पर तेजी से असर पड़ता है.
क्या आप शाकाहारी या कीटो डाइट अपनाने का विचार कर रहे हैं? तो एक नए अध्ययन ने इस बारे में चौंकाने वाला खुलासा किया है कि इन दोनों डाइट का आपके इम्यून सिस्टम और आंतों पर तेजी से असर पड़ता है. नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ हेल्थ के वैज्ञानिकों ने छोटे शोध में लोगों पर ये आहार आजमाए और उनके शरीर पर होने वाले बदलावों का बारीकी से अध्ययन किया.
शोध में 20 हेल्दी लोगों को शामिल किया गया. उन्हें दो हफ्तों के ब्लॉक में बारी-बारी से पूरी तरह से शाकाहारी और फिर कीटो डाइट खाने के लिए कहा गया. शोधकर्ताओं ने उनके खून, टिशू और माइक्रोबायोम का विश्लेषण किया, जो आंतों में मौजूद माइक्रो ऑर्गेनिज्म का समुदाय होता है.
अध्ययन से पता चला कि दोनों आहारों ने अलग-अलग तरह से इम्यून सिस्टम को प्रभावित किया. शाकाहारी डाइट लेने से शरीर की नेचुरल रक्षा प्रणाली (जिसे जन्मजात इम्यूनिटी कहते हैं) में सक्रियता बढ़ी. यह प्रणाली वायरस और बैक्टीरिया जैसे बाहरी हमलावरों के खिलाफ शरीर की पहली प्रतिक्रिया रेखा है.
दूसरी ओर, कीटो डाइट ने अनुकूली इम्यून सिस्टम को प्रभावित किया. यह प्रणाली विशिष्ट रोगजनकों को पहचानने और उनसे लड़ने के लिए एंटीबॉडी और टी सेल्स का उत्पादन करती है. शोधकर्ताओं ने पाया कि कीटो डाइट खाने वालों के रक्त में टी सेल्स और बी सेल्स के कई गुणक लेवल की वृद्धि हुई थी. इसके अलावा, दोनों डाइट ने माइक्रोबायोम में महत्वपूर्ण बदलाव लाए. शाकाहारी आहार ने फाइबर-पचाने वाले बैक्टीरिया की संख्या बढ़ाई, जबकि कीटो डाइट ने कीटोन के उत्पादन को बढ़ावा देने वाले बैक्टीरिया को बढ़ावा दिया. माइक्रोबायोम में ये बदलाव मेटाबॉलिज्म और पोषण अब्जॉर्ब को भी प्रभावित कर सकते हैं.
हालांकि, यह अध्ययन छोटा था और इसमें सिर्फ दो हफ्तों तक डाइट का पालन किया गया था. यह पता लगाने के लिए आगे बड़े शोध की जरूरत है कि ये बदलाव लंबे रूप से सेहत को कैसे प्रभावित करते हैं और क्या उनका इस्तेमाल किसी बीमारी के इलाज में किया जा सकता है. इसके बावजूद, यह अध्ययन उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो अपना डाइट बदलने पर विचार कर रहे हैं. ये परिणाम बताते हैं कि इन दोनों डाइट के शरीर पर गहरा प्रभाव पड़ता है और उन्हें अपनाने से पहले डॉक्टर या पोषण विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी है.