आजकल के डिजिटल युग में बच्चों का खेलना पहले जैसा नहीं रहा. जहां पहले बच्चे अपना वक्त खिलौनों में बिताते थे, वहीं अब मोबाइल फोन उनके खेल का अहम हिस्सा बन चुका है. आपने कभी न कभी देखा होगा कि जैसे ही आप छोटे बच्चों को मोबाइल देते हैं, वे उसे छोड़ने का नाम नहीं लेते.


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इस नई आदत ने बच्चों की मानसिक और शारीरिक विकास में बदलाव लाने के साथ-साथ कई खतरों को जन्म दिया है. सीके बिड़ला अस्पताल की नियोनेटोलॉजी और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. श्रेया दुबे के अनुसार, बच्चों में मोबाइल की लत चिंता का कारण बन रही है. उनका कहना है कि यह आदत बच्चों के मानसिक विकास, सामाजिक व्यवहार और उनकी मानसिक स्थिति पर गहरा असर डाल सकती है.  


मोबाइल की लत से बच्चों पर असर

डॉ. श्रेया दुबे ने इस विषय पर आईएएनएस से विशेष बातचीत करते हुए कहा कि आजकल बच्चों में मोबाइल की लत एक सामान्य समस्या बन गई है. ऐसा देखा गया है कि जब बच्चों को मोबाइल नहीं मिलता, तो वे चिड़चिड़े हो जाते हैं और बेचैनी महसूस करने लगते हैं. यह स्थिति उनके मानसिक विकास के लिए हानिकारक हो सकती है, खासकर 1 से 4 साल की उम्र में. डॉ. दुबे ने बताया कि इस उम्र में बच्चों का मानसिक विकास बहुत तेजी से होता है, और इस दौरान बच्चों को मोबाइल का अधिक उपयोग करने से उनके विकास पर नकारात्मक असर पड़ सकता है. 


सामाजिक दूरी और संचार की समस्याएं

जब बच्चों को मोबाइल की लत लग जाती है, तो वे धीरे-धीरे समाज से कटने लगते हैं. ऐसे बच्चे बड़े होकर सामाजिक इंटरएक्शन से कतराते हैं और दूसरों से बातचीत करने में संकोच करते हैं. इसके अलावा, मोबाइल के जरिए तुरंत परिणाम मिलने की आदत बच्चों में धैर्य की कमी पैदा कर सकती है. उन्हें समय की प्रतीक्षा करना और किसी काम को पूरा करने के लिए मेहनत करना कठिन लगता है. इससे बच्चों की एकाग्रता और कम्युनिकेशन क्षमता भी प्रभावित हो सकती है.


बच्चों को मोबाइल की लत से कैसे बचाएं? 

बच्चों को मोबाइल की लत से बचाने के लिए माता-पिता को सक्रिय भूमिका निभानी होगी. डॉ. दुबे का सुझाव है कि माता-पिता को अपने बच्चों से मोबाइल दूर रखना चाहिए, खासकर उनके सोने से दो-तीन घंटे पहले. इस समय के दौरान बच्चों को किताबें पढ़ने, खेलने या बाहर घूमने जैसी गतिविधियों में शामिल किया जा सकता है. इस तरह से बच्चों को मोबाइल से दूर रखा जा सकता है और उनका मानसिक और शारीरिक विकास सही दिशा में हो सकता है.  


कब देना चाहिए स्मार्टफोन?  

चिकित्सकीय दृष्टिकोण से, डॉ. दुबे ने कहा कि बच्चों को 14-15 साल से पहले स्मार्टफोन नहीं देना चाहिए. इसके अलावा, 16 साल से पहले बच्चों को व्हाट्सएप का इस्तेमाल करने से भी बचना चाहिए. 13 साल से पहले गूगल, स्नैप चैट जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग भी उचित नहीं है. यूट्यूब का उपयोग बच्चों के लिए 18 साल की उम्र से पहले नहीं करना चाहिए, क्योंकि इस समय तक बच्चों का मानसिक विकास बेहतर तरीके से होता है और वे डिजिटल दुनिया के सही उपयोग को समझ सकते हैं.

 


-एजेंसी-