नवजात शिशुओं में पीलिया, जिसे जॉन्डिस भी कहा जाता है, एक आम समस्या है, लेकिन इसे हल्के में लेना कई बार खतरनाक साबित हो सकता है. इस समस्या के चलते शिशुओं की त्वचा और आंखों का सफेद भाग पीला हो जाती है. 


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नवजात शिशु को पीलिया क्यों होता है? डॉ. उर्वंश मेहता, एमडी मेडिसिन और कंसल्टिंग फिजिशियन, ने आईएएनएस से बातचीत में बताया कि यह आमतौर पर लिवर के पूर्ण रूप से विकसित न होने के कारण होता है. पीलिया का मुख्य कारण बिलीरुबिन का जमाव होता है, जो रक्त में लाल कोशिकाओं के टूटने के कारण होता है.


कब होता शिशु को पीलिया

डॉ. मेहता ने बताया कि पीलिया आमतौर पर जन्म के पहले दिन ही देखने को हो सकता है. अधिकांश मामलों में यह स्वाभाविक रूप से ठीक हो जाता है. लेकिन फिर भी इसे नजरअंदाज करना सही नहीं है. उन्होंने कहा, बच्चों को अक्सर फोटोथेरेपी की आवश्यकता होती है, जो एक प्रभावी इलाज है. 


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समय पर इलाज की आवश्यकता

डॉ. मेहता ने यह भी बताया है कि पीलिया की समस्या को अगर समय पर ठीक नहीं किया जाए, तो यह गंभीर स्थिति में बदल सकती है. जन्म के समय बढ़े हुए बिलीरुबिन के स्तर से दिमाग को हानि हो सकती है, जिसे केर्निकटेरस के नाम से जाना जाता है. ऐसे में तुरंत शिशु को डॉक्टर को दिखाना जरूरी होता है. 


पीलिया के लक्षण

- बच्चे की त्वचा और आंखों का पीला पड़ना
- बच्चे का यूरिन गहरा पीला रंग का होना
- बच्चे का मल हल्के पीले रंग का होना


ऐसे बच्चों को होता है ज्यादा खतरा

स्टडी से पता चला है कि पीलिया अक्सर उन बच्चों में पाया जाता है जिनका समय से पहले जन्म हुआ हो या जिनका अपनी मां के साथ ब्लड मेल नहीं खाता हो. इस स्थिति में, बच्चे के लिवर को पूरी तरह से विकसित होने में कम से कम दो सप्ताह का समय लगता है.

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