अगर आप एक मह‍िला हैं तो आपने अपने जीवन में ये सवाल कभी न कभी जरूर सुना होगा- शादी कब करोगी? 25 साल का आंकड़ा पार करते ही, लड़कियों के ऊपर ये सवाल तलवार की तरह लटकने लगता है. फ‍िर तो क्‍या घर और क्‍या पड़ोस, जहां से गुजरो, बातों ही बातों में लोग ये सवाल एक दफा तो पूछ ही लेते हैं. और अगर आपने 30 साल पूरे कर ल‍िए हैं तो लोग ये मानने लगते हैं क‍ि आपने क‍िसी को पसंद कर रखा है या आपको कोई म‍िल ही नहीं रहा. ये देखते हुए अब उनके सवाल कुछ ऐसे हो जाते हैं - कोई पसंद है? तुम्‍हारी उम्र बढ़ रही, मेट्र‍िमोन‍ियल साइट पर तुम्‍हारा प्रोफाइल बना दूं ?   


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र‍िश्‍तेदारों को ये बात शायद समझ ही नहीं आ रही क‍ि अब मह‍िलाएं बदल गई हैं. देर से शादी करना अब सामान्‍य है. खासतौ से मह‍िलाओं के ल‍िए ये नॉर्मल बात हो गई है. लेक‍िन अगर आप उन र‍िश्‍तेदारों में शाम‍िल हैं, जिन्‍हें ये बात बुरी लग रही है, तो आपके ल‍िए यहां कुछ वजहें दी गई हैं, जो आपके द‍िमाग को या तो झकझोर देगी या आपको समझा देंगी क‍ि देर से शादी करने पीछे मह‍िलाओं की मनमानी क्‍यों चल रही है.  


आंकड़ों की नजर से 
मनोवैज्ञान‍िक कारणों पर जाने से पहले आप नेशनल फैम‍िली हेल्‍थ सर्वे (NFHS) के आंकड़ों पर एक नजर डालें, ज‍िसमें 13 राज्‍यों और दो यून‍ियन टेरीटरी का लेखा जोखा है. एनएफएचएस के आंकड़े बताते हैं क‍ि प‍िछले कुछ समय से कम समय में होने वाली शाद‍ियों में कमी आई है. 


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रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन महिलाओं ने 12 या उससे ज्‍यादा साल की स्कूली शिक्षा ली थी, उन्होंने दूसरी महिलाओं की तुलना में बहुत बाद में शादी की. इसमें कहा गया है क‍ि 25-49 साल की उम्र की महिलाओं के लिए पहली शादी की औसत उम्र 17.1 साल से 22.8 साल हो गई है. जबक‍ि 12वीं करने वाली लड़कियों ने इससे ज्‍यादा उम्र में शादी करने का फैसला क‍िया. 


एनएफएचएस ने कहा कि 25-49 वर्ष की आयु वाली महिलाओं के लिए पहली शादी की औसत आयु जैन महिलाओं (22.7 वर्ष), ईसाई महिलाओं (21.7 वर्ष) और सिख महिलाओं (21.2 वर्ष) में अन्य सभी विशिष्ट धर्मों की महिलाओं (18.7-19.7 वर्ष) की तुलना में अधिक है. 


सरकार ने एक और आश्चर्यजनक काम किया है कि उसने विवाह की कानूनी आयु बढ़ाकर 21 वर्ष कर दी है, इससे दबाव कुछ और कम हो गया है. 


बदल गया समय 
ऐतिहासिक रूप से महिलाएं पुरुषों की तुलना में बहुत पहले शादी कर लेती थीं. ऐसा कई कारणों से था, जैसे क‍ि लिंगभेद और औपचारिक शिक्षा की कमी. लेकिन अब महिलाएं औपचारिक शिक्षा ले रही हैं और स्कूल, कॉलेज और करियर में अच्‍छा प्रदर्शन भी कर रही हैं. उन्हें अपने जीवन के बारे में सोचने की आजादी है. अब उनके पास ऑप्‍शन हैं. इसके अलावा, महिलाएं अब पर्सनल डेवलपमेंट पर काम करना चाहती हैं. 


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एड‍िशनल प्रेशर नहीं चाहतीं 
याद कीजिए महामारी के दौरान कैसे कई कहानियां सुनने में थीं कि कैसे महिलाओं को घर के काम, करियर और अपने बच्चों को संभालने के लिए सुपरहीरो के रूप में माना जाता है. खैर, सिर्फ इसलिए कि अधिक बोझ और अधिक काम करना महान काम हो गया है, इसका मतलब यह नहीं है कि इसे महिलाओं के ल‍िए जरूरी ही बना द‍िया जाए. कई महिलाएं सिर्फ अपने करियर पर ध्यान देना चाहती हैं और शादी के साथ आने वाली एक्‍स्‍ट्रा रेस्‍पॉन्‍सब‍िल‍िटी के लिए तैयार नहीं हैं. 


खुद को समझने के ल‍िए वक्‍त 
हम सभी इस बात से सहमत हो सकते हैं कि किसी व्यक्ति का व्यक्तित्व, उसकी आकांक्षाएं और उसका लाइफ गोल पांच साल में बदल सकते हैं. इसलिए, हो सकता है कि आप 23 साल की उम्र में जो जीवन चाहते थे, वो अब 28 साल की उम्र में नहीं चाहते, कुछ और चाहते हैं. इसलिए, अब महिलाएं खुद को खोजने की कोशिश कर रही हैं और देख रही हैं कि कौन उनके साथ सबसे ज्‍यादा कंपैट‍िबल है. ऐसी कई महिलाएं हैं जो ज्‍वाइंट फैम‍िली में नहीं रहना चाहती हैं या बच्चे भी नहीं चाहती हैं. ये सारी बातें वाकई बहुत बड़ी हैं और जीवन में मायने रखती हैं. इसल‍िए इन सभी के बारे में फाइनल निर्णय लेने के ल‍िए समय लेना पूरी तरह से उचित है. 


वैसे तो बहुत सी महिलाएं देर से शादी करने का ऑप्‍शन चुनती हैं, लेकिन कई ऐसी भी हैं जिन्होंने जल्दी शादी कर ली है. और यह भी पूरी तरह से ठीक है. सिर्फ इसलिए कि देर से शादी करना अब नॉर्मल हो गया है, इसका मतलब यह नहीं है कि अगर आप इसके अलावा कोई और विकल्प चुनती हैं तो आपको अजीब या असहज महसूस करना चाहिए. जब ​​भी आपको सही लगे, तभी सही वक्‍त है.