क्या होता है पोस्टपार्टम डिप्रेशन? ज्यादातर लोग करते हैं इन लक्षणों को इग्नोर
कर्नाटक के पूर्व सीएम और बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा की नातिन सौंदर्या की मौत के बाद जिस समस्या की चर्चा हो रही है, वो है पोस्टपार्टम डिप्रेशन. जानिए इसके लक्षण क्या हैं और क्यों होती है ये समस्या.
नई दिल्ली: कर्नाटक के पूर्व सीएम और बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा की नातिन सौंदर्या की 28 जनवरी को संदिग्ध हालात में मौत हो गई है. इसमें सुसाइड का शक जताया जा रहा है. सौंदर्या सिर्फ 30 साल की थीं और पेशे से डॉक्टर थीं. 4 महीने पहले ही उन्होंने बच्चे को जन्म दिया था. ऐसा कहा जा रहा है कि बच्चे के जन्म के बाद सौंदर्या पोस्टपार्टम डिप्रेशन से जूझ रही थीं. यहां जानिए कि आखिर गर्भावस्था के बाद होने वाला डिप्रेशन या जिसे पोस्टपार्टम डिप्रेशन कहा जाता है, ये होता क्या है और क्या हैं इसके लक्षण-
क्या होता है पोस्टपार्टम डिप्रेशन?
ग्रेटर नोएडा के शारदा हॉस्पिटल में साइकोलॉजिस्ट और असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. स्वाति राय कहती हैं कि पोस्टपार्टम डिलीवरी के बाद वाला वक्त होता है. बहुत सी महिलाएं इसको एक्सपीरियंस करती हैं. ये काफी कॉमन है. ठीक से नींद नहीं आना, कुछ अच्छा न लगना, बच्चे से लगाव न होना, बात-बात पर रोना आना, मूड स्विंग्स इसके लक्षण हो सकते हैं.
डिलीवरी के बाद एस्ट्रोजेन, प्रोजेस्टेराॅन, कॉर्टिसोल जैसे हार्मोन जो प्रेग्नेंसी में बहुत ज्यादा होते हैं, डिलीवरी के वक्त ये हार्मोन एकदम से कम हो जाते हैं. इस वजह से ये बदलााव आता है. इसको पोस्टपार्टम ब्लूज कहते हैं. आमतौर पर ये लक्षण दो हफ्तों तक चले जाते हैं.
पोस्टपार्टम डिप्रेशन की समस्या गर्भावस्था के दौरान या बच्चे के जन्म के एक वर्ष बाद तक शुरू हो सकती है. ये एक मानसिक बीमारी है जो आपके सोचने, महसूस करने या कार्य करने के तरीके को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है.
पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण
अलग-अलग महिलाओं में इसके लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन कुछ कॉमन लक्षण हैं जो बीमारी से पीड़ित ज्यादातर महिलाओं में नजर आते हैं-
-हर वक्त उदासी महसूस होना.
-चिड़चिड़ापन और एंग्जाइटी फील करना.
-हद से ज्यादा थकान महसूस करना और आलस आना.
-सिर में दर्द या पेट में दर्द की समस्या.
-भूख न लगना, खाने की इच्छा न होना
-किसी भी तरह की एक्टिविटी में दिलचस्पी न दिखाना.
-अपने बच्चे के साथ बॉन्डिंग बनाने में मुश्किल आना.
-बार-बार रोने का मन करना और काफी देर तक बेवजह रोते रहना.
-परिवार के सदस्यों या दोस्तों से खुद को अलग कर लेना, अकेले में रहना.
अमेरिकी हेल्थ वेबसाइट medicalnewstoday.com की मानें तो पोस्टपार्टम डिप्रेशन का सामना कर रही महिलाओं में खुद को नुकसान पहुंचाने और आत्महत्या करने का ख्याल भी आता है. हालांकि ऐसा बहुत कम मामलों में होता है.
इसे कैसे रोक सकते हैं
डॉक्टर स्वाति कहती हैं कि भरपूर आराम करना, कैफीन का इनटेक यानी चाय कम करके, मां को सपोर्ट करके, संतुलित आहार, जब बच्चा सोए तब मां भी सोए. इन सब बातों से हम इसे दूर सकते हैं.
पोस्टपार्टम ब्लूज और पोस्टपार्टम साइकोसिस या डिप्रेशन में अंतर जानें
पोस्टपार्टम ब्लूज और पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण एक जैसे ही होते हैं, लेकिन डिप्रेशन की कंडीशन में ये लक्षण बढ़ जाते हैं. इसमें मां को भ्रम हो सकता है, आवाजें सुनाई दे सकती हैं और बच्चे को नुकसान पहुंचाने या आत्महत्या का ख्याल भी आ सकता है.
अगर ऐसे लक्षण नजर आ रहे हैं तो अपने चिकित्सक से सलाह लें. इसमें हॉस्पिटलाइजेशन की जरूरत भी पड़ सकती है, लेकिन इसे प्रिवेंट किया जा सकता है. अगर ऐसे कोई भी लक्षण नजर आते हैं तो इसे इग्नोर न करें.
इन वजहों से हो सकता है पोस्टपार्टम डिप्रेशन
बच्चे के जन्म के बाद मां के व्यवहार में बदलाव आना या बहुत अधिक तनाव और डिप्रेशन महसूस होने के कई कारण हो सकते हैं:
इसकी एक वजह ये है कि जिस तरह प्रेग्नेंसी के दौरान महिला के शरीर में कई बदलाव आते हैं, उसी तरह से बच्चे के जन्म के बाद भी महिला के शरीर में हार्मोन्स में काफी Hormonal Changes होते हैं. इसमें एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरॉन और कॉर्टिसोल जैसे हार्मोन्स शामिल हैं. हार्मोनल चेंज का सीधा असर महिला के व्यवहार पर पड़ता है.
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इसके अलावा सामाजिक कारणों से भी महिला को तनाव हो सकता है. डिलीवरी के बाद घर की बाकी जिम्मेदारियों के साथ ही बच्चे की भी जिम्मेदारी आ जाती है. ऐसे में महिला को इस बात की भी चिंता और तनाव हो सकता है कि वह बच्चे की जिम्मेदारी ठीक तरह से निभा पाएगी या नहीं.
बहुत सी महिलाएं शारीरिक रूप से कमजोर हो जाने या शरीर के प्रेग्नेंसी से पहले जैसा न रहने की वजह से भी तनाव महसूस करती हैं.
नवजात शिशु की जरूरतों को पूरा करने की वजह से कई बार मां रातभर ढंग से सो नहीं पाती, नींद पूरी न होने और थकान की वजह से भी पोस्टपार्टम डिप्रेशन हो सकता है.
अगर बच्चे को संभालने के दौरान परिवार या दोस्तों से किसी तरह का सपोर्ट न मिले और सबकुछ अकेले ही करना पड़े तो ये भी तनाव का एक कारण हो सकता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)