बदायूं लोकसभा सीट ने पैदा की रार, अब अमेठी-रायबरेली से चुनाव लड़ेंगे SP-BSP गठबंधन!
अखिलेश यादव ने एक बार फिर धर्मेंद्र यादव को बदायूं से ही उम्मीदवार बनाया है, लेकिन परेशानी इस बात की है कि इस बार कांग्रेस ने भी बदायूं से वरिष्ठ नेता सलीम शेरवानी की उम्मीदवार की घोषणा की है.
लखनऊ: अखिलेश यादव कांग्रेस से नाराज है. वजह लोकसभा की बदायूं सीट बताई जा रही है. दरअसल, बदायूं सीट यादव परिवार की पारंपरिक सीट है. धर्मेंद्र यादव बदायूं से सांसद है. साल 2014 में समाजवादी पार्टी ने जो पांच सीटें जीती थी. उसमें धर्मेंद्र यादव की बदायूं सीट भी थी. अखिलेश यादव ने एक बार फिर धर्मेंद्र यादव को बदायूं से ही उम्मीदवार बनाया है, लेकिन परेशानी इस बात की है कि इस बार कांग्रेस ने भी बदायूं से अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है.
कांग्रेस ने बदायूं से पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ नेता सलीम शेरवानी को प्रत्याशी बनाया है. बदायूं में मुस्लिम मतों की तादाद अच्छी है, ऐसे में इसके लिए समाजवादी पार्टी और कांग्रेस दोनों ही दावेदारी करेगी. कांग्रेस के इसी फैसले से दोनों की रिश्तों में तल्खी आई है. दरअसल, इस बात की चर्चा जोरों पर थी कि एसपी-बीएसपी गठबंधन में कांग्रेस भी शामिल होगी और यूपी में एक महागठबंधन बनेगा. लेकिन, इससे पहले ही कांग्रेस ने यूपी में अपने 11 प्रत्याशियों की घोषणा कर दी और इसी लिस्ट में बदायूं की सीट भी है.
चर्चा तो ऐसी भी थी कि अखिलेश यादव कांग्रेस को गठबंधन में शामिल करने के लिए तैयार भी थे और कुछ सीटें भी देना चाह रहे थे. इतना ही नहीं खबर यह भी थी कि कांग्रेस और एसपी बीएसपी के बीच यह समझौता भी था कि सभी पार्टियां परिवार की सीटों पर अपने उम्मीदवार नहीं खड़ा करेंगे. एसपी-बीएसपी गठबंधन ने भी कांग्रेस के दो पारिवारिक सीटें अमेठी और रायबरेली पर अपने उम्मीदवार नहीं खड़ा करने की घोषणा की थी. ऐसे में अखिलेश यादव को इस बात की उम्मीद थी कि कांग्रेस भी उसके परिवार के सीटों पर अपने उम्मीदवार नहीं खड़ा करेगी. लेकिन, कांग्रेस ने ऐसा नहीं किया और बदायूं में सपा के धर्मेंद्र यादव के खिलाफ अपने प्रत्याशी खड़ा करने की घोषणा कर दी है और शायद यही नाराजगी की सबसे बड़ी वजह है.
अब बदायूं लोकसभा को लेकर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस आमने-सामने है. सूत्रों की माने तो अखिलेश यादव ने फैसला किया है कि अगर कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार सलीम शेरवानी का नाम वापस नहीं लिया तो अमेठी और रायबरेली में भी एसपी-बीएसपी गठबंधन अपने उम्मीदवार खड़े कर सकते हैं और अगर ऐसा होता है तो ये कांग्रेस के लिए बड़ी मुश्किल होगी. अमेठी और रायबरेली में कभी भी विपक्ष अपने उम्मीदवार नहीं खड़ा करता है. लेकिन इस बार समीकरण बदल सकता है.
दरअसल, अखिलेश यादव इस बार अपने परिवार के सीटों को लेकर ज्यादा ही संजीदा है. सूत्रों की मानें तो बदायूं सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार उतारने से सांसद धर्मेंद्र यादव नाराज है. धर्मेंद्र ने यह नाराजगी अखिलेश यादव के सामने भी जाहिर कर दी है. ऐसे में अखिलेश यादव अपने परिवार के सीटों पर कोई रिस्क नहीं लेना चाहते. लिहाजा अखिलेश ने भी कांग्रेस के सामने अपना कड़ा रुख साफ कर दिया है. ऐसे में अब गेंद कांग्रेस के पाले में है. फैसला कांग्रेस को करना है कि वो यूपी में गठबंधन के खिलाफ लड़ेगी या साथ.