नई दिल्ली/रामपुर: चुनावी मौसम में नेताओं का दल-बदल का सिलसिला जारी है. अमर सिंह के बीजेपी प्रेम के बाद, दस्तूर देखते हुए कभी सपा नेता रहीं जया प्रदा ने बीजेपी का हाथ थाम लिया है. पीएम मोदी की पॉलिसी का बखान और चेहरे पर मुस्कान के साथ बीजेपी का हाथ थामने वाली और रामपुर से बीजेपी प्रत्याशी घोषित होने के बाद जहां, जया ने जहां खुशी जताई. वहीं, आजम खान ने दो टूक कहा कि चुनावी मैदान में कोई भी आए, लेकिन जीत सपा-बसपा गठबंधन की ही होगी. 


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आजम और जया की सियासी दुश्मनी भी जग जाहिर है. इसलिए पत्रकारों के सवाल पर आजम खान ने अपने ही अंदाज में जवाब दिया और कहा कि भारतीय जनता पार्टी राजनीतिक पार्टी है. उन्हें किसी को तो लाना ही था और हमारे लिए इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि उम्मीदवार कौन होगा. उन्होंने कहा कि हमें सिर्फ इस बात से वास्ता है कि सपा-बसपा का गठबंधन है और ये गठबंधन यूपी में कम से कम 70 सीटे जरूर जीतेगा. 


आपको बता दें कि अपने ढाई दशके के राजनीतिक इतिहास में जयाप्रदा कई पार्टियां बदल चुकीं हैं. हालांकि उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत तेलुगु देशम पार्टी से की थी. उसके बाद यूपी में राजनीतिक ठाह लेने के लिए उन्होंने समाजवादी पार्टी से हाथ मिलाया और फिर राष्ट्रीय लोकदल में शामिल हुई. आरएलडी में शामिल होने से पहले उन्होंने अमर सिंह के साथ राष्ट्रीय लोकमंच पार्टी भी बनाई, लेकिन ये पार्टी देश में कोई चमत्कार दिखा नहीं पाई. 


रामपुर लोकसभा सीट से बीजेपी ने जयाप्रदा पर भरोसा जताया है. उन्होंने साल 2004 और 2009 में यहीं से जीतकर सपा का परचम लहराया था. फिलहाल पार्टी भी बदली है और चुनावी आंकड़े भी. सपा-बसपा गठबंधन और आजम खान का गढ़ में दोनों प्रत्याशियों के लिए चुनौती साबित करेंगे. वहीं, दो बार रामपुर से सांसद रह चुकीं जयाप्रदा भी बीजेपी की इस दावे को मजबूती देने वाली है.