नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 का चुनाव कई मायनों में इतिहास बदलने वाला साबित हो रहा है. कई बड़े किले ध्वस्त हो रहे हैं. बड़े बड़े नेता चुनाव हार रहे हैं. इनमें सबसे चौंकाने वाला परिणाम मध्य प्रदेश की गुना सीट से आ रहा है. सिंधिया परिवार की पारंपरिक सीट मानी जाने वाली गुना सीट पर ज्योतिरादित्य सिंधिया पर हार का संकट मंडरा रहा है. ये सीट ऐसे अभेद किले के रूप में जानी जाती थी, जिसे सिंधिया उम्मीदवार की मौजूदगी में कभी कोई नहीं जीत पाया. ज्यादातर इस पर कांग्रेस का कब्जा रहा. बीजेपी अगर जीती भी तो सिंधिया के नाम पर ही जीती. लेकिन इस बार बीजेपी ने इस मिथक को ध्वस्त कर दिया है.


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बीजेपी के केपी सिंह ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को ताजा रुझानों में 1 लाख 20 हजार वोट से पीछे कर दिया है. ये नतीजे हर किसी के लिए चौंकाने वाले हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया 2002 से यहां से लगातार सांसद हैं. पिछले चार चुनावों में उन्हें कोई टक्कर भी नहीं दे पाया. ऐसे में इस बार उनके ऊपर हार के संकट को देखकर किसी को भरोसा नहीं हो रहा है.



गुना सीट पर जिस बीजेपी उम्मीदवार से ज्योतिरादित्य पीछे चल रहे हैं, वह अब तक ज्योतिरादित्य के ही शागिर्द थे. केपी सिंह मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों तक कांग्रेस में ही थे. अशोकनगर की मुंगावली सीट से केपी ने विधानसभा में कांग्रेस से टिकट मांगा था, लेकिन मना करने पर उन्होंने BJP से चुनाव लड़ा था. लेकिन वह चुनाव हार गए थे.


मोदी लहर के सहारे जीते
ध्यान से देखें तो गुना सीट पर बीजेपी की ओर से केंद्र का कोई बड़ा चेहरा प्रचार के लिए नहीं पहुंचा. यहां तक कि शिवपुरी से विधायक यशोधरा राजे भी उनके प्रचार में नहीं पहुंचीं. ऐसे में केपी सिंह चुनावी मैदान में सिर्फ मोदी के करिश्मे के सहारे ही थे.


गुना सीट पर सिर्फ सिंधिया का सिक्का
गुना सीट पर अब तक 20 चुनाव हो चुके हैं. इस सीट पर इसमें से 13 बार सिंधिया खानदान से ही उम्मीदवार चुनाव जीता है. सबसे ज्यादा बार चुनाव जीतने वालों की बात करें तो 5 बार इस सीट से बीजेपी और स्वतंत्र पार्टी से विजयराजे सिंधिया ने जीत हासिल की. चार बार ज्योतिरादित्य ने जीत हासिल की.