चुनावी सरगर्मियों के बीच JDU विधायक का इस्तीफा, कहा- ...लेकिन पार्टी नहीं छोड़ूंगा
हयाघाट विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र दरभंगा जिले में है, लेकिन यह समस्तीपुर निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है, जहां से एलजेपी प्रमुख रामविलास पासवान के भाई रामचंद्र पासवान एनडीए के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं.
दरभंगा: लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) का सियासी रण अपने चरम पर है. इस चुनावी सरगर्मी के बीच बिहार में दरभंगा जिले के हयाघाट विधानसभा क्षेत्र से जेडीयू विधायक अमरनाथ गामी ने पूरे चुनाव प्रचार के दौरान दरकिनार किए जाने पर मंगलवार को बिहार विधान सभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. विधायक के इस्तीफे के बाद से ही बिहार की राजनीति का माहौल गर्मा गया है.
इस्तीफा देने वाले हयाघाट विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से दो बार के विधायक रहे अमरनाथ ने कहा कि समस्तीपुर या दरभंगा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में उनका उपयोग नहीं किए जाने का उन्हें गहरा दुख है इसलिए उन्होंने विधानसभा से इस्तीफा देने का फैसला किया है. उन्होंने कहा, ''मैंने अपना त्याग पत्र अपने पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार को भेज दिया है.'' हालांकि, अमरनाथ ने जोर देकर कहा कि वह पार्टी नहीं छोड़ेंगे और जेडीयू में कार्य करते रहेंगे क्योंकि उन्हें अपने नेता नीतीश कुमार पर पूरा भरोसा है जो केंद्र की एनडीए सरकार की मदद से बिहार के विकास के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं.
उन्होंने कहा "चूंकि मैं गठबंधन में खलल नहीं डालना चाहता था और, मैं चाहता था कि नरेंद्र मोदी देश और बिहार के विकास के लिए सरकार में लौटें, इसलिए मैं समस्तीपुर और दरभंगा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान (29 अप्रैल) होने तक खामोश रहने का निर्णय लिया था.'' अमरनाथ ने कहा कि चूंकि उन्हें हयाघाट के अपने लोगों के सामने यह स्पष्टीकरण देना पड़ता कि चुनाव प्रचार के दौरान वह क्यों सक्रिय नहीं दिखे, इसलिए उन्होंने मतदान के बाद अपने मन की बात कहने का फैसला किया.
हयाघाट विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र दरभंगा जिले में है, लेकिन यह समस्तीपुर निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है, जहां से एलजेपी प्रमुख रामविलास पासवान के भाई रामचंद्र पासवान एनडीए के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं. अमरनाथ ने कहा कि उनकी सेवाओं का न तो समस्तीपुर में और न ही दरभंगा में उपयोग किया गया, इस तथ्य के बावजूद कि हयाघाट और दरभंगा दोनों शहरों में उनकी बेहतर पकड़ है.
उन्होंने कहा, ''मैंने अपने नेता नीतीश कुमार को चुनाव प्रचार के दौरान खुद को दरकिनार किए जाने की जानकारी दी थी, लेकिन गठबंधन के धर्म का पालन करने के लिए उन्होंने चुप रहना ही उचित समझा क्योंकि दोनों सीटें (समस्तीपुर और दरभंगा) एनडीए के घटक दलों की थीं और जेडीयू की नहीं थीं.''