कांग्रेस ने जिसे PM मोदी से लड़ने को भेजा, वह करने लगे वाजपेयी की तारीफ
उत्तर प्रदेश की वाराणसी लोकसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार अजय राय ने कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी बड़े हृदय के व्यक्ति थे जो सबको साथ लेकर चलते थे. वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह नहीं थे. पूर्व बीजेपी नेता ने वाराणसी से सांसद मोदी पर हमला बोलते हुए कहा कि इस बार का चुनाव 2014 के मुकाबले आसान है.
वाराणसी: लोकसभा चुनाव 2019 (Lok sabha election 2019) में आज (19 मई) को सातवें और आखिरी चरण की वोटिंग हो रही है. इसी चरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी वोट डाले जा रहे हैं. यहां पीएम मोदी को चुनौती देने के लिए कांग्रेस ने अजय राय को चुनाव मैदान में उतारा है. उत्तर प्रदेश की वाराणसी लोकसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार अजय राय ने कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी बड़े हृदय के व्यक्ति थे जो सबको साथ लेकर चलते थे. वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह नहीं थे. पूर्व बीजेपी नेता ने वाराणसी से सांसद मोदी पर हमला बोलते हुए कहा कि इस बार का चुनाव 2014 के मुकाबले आसान है.
'अभी की बीजेपी अपने नेताओं का सम्मान नहीं करती'
राय ने वाराणसी सीट पर रविवार को होने वाले मतदान से पहले कहा, ‘इस बार का चुनाव पिछली बार के चुनाव के मुकाबले आसान है क्योंकि लोग मोदी जी के लंबे तथा झूठे वायदों को देख चुके हैं और उन्होंने कुछ नहीं किया है.’ राय ने पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी की काफी सराहना की.
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘मैं बीजेपी में था. मैं मंत्री भी था. यह अटल बिहारी वाजपेयी की बीजेपी थी. यह मोदी और अमित शाह की बीजेपी नहीं थी जो कॉरपोरेट संस्कृति पर चलती है और अपने नेताओं का सम्मान नहीं करती.’
यूपी की बीजेपी सरकार में मंत्री रहे अजय राय
उन्होंने कहा कि इस नयी बीजेपी ने अपने पुराने नेताओं-लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी का सम्मान नहीं किया. राय ने वाजपेयी को याद करते हुए कहा कि वह बिल्कुल अलग तरह के नेता थे. उन्होंने कहा, ‘वाजपेयी बड़े हृदय के व्यक्ति थे जो हर किसी को साथ लेकर चलते थे.’ राय के राजनीतिक करियर की शुरुआत बीजेपी की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्य के रूप में हुई थी. वह 1996 और 2007 के बीच तीन बार बीजेपी के टिकट पर उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य बने.
बीजेपी द्वारा 2009 में लोकसभा का टिकट न दिए जाने पर वह समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे और बाद में कांग्रेस का दामन थाम लिया. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने वाराणसी सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन महज 75 हजार वोट ही हासिल कर पाए थे और तीसरे नंबर पर रहे थे. वह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल से पीछे थे और जमानत जब्त करा बैठे थे.
2014 में तीसरे नंबर पर रहे थे अजय राय
वाराणसी सीट से 2014 में मोदी विजयी हुए थे और उन्होंने केजरीवाल को 3.37 लाख वोटों से शिकस्त दी थी. बीजेपी इस बार मोदी की जीत के अंतर को दोगुना करना चाहती है. इस बार मोदी के मुख्य प्रतिद्वंद्वी राय ही हैं जो मुस्लिम वोट मिलने की उम्मीद लगाए बैठे हैं. राय भूमिहार समुदाय से हैं और ब्राह्मणों में भी उनकी अच्छी पैठ है. वाराणसी में भूमिहारों और ब्राह्मणों की संख्या अच्छी-खासी है, लेकिन दोनों ही समुदाय परंपरागत रूप से बीजेपी के समर्थक रहे हैं.