नई दिल्ली: कैराना लोकसभा सीट उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में एक अहम सीट मानी जाती है और इतिहास भी इसकी गवाही भी देता है. कैराना मुजफ्फरनगर से करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. वहीं, हरियाणा के पानीपत से सटा यमुना नदी के पास और शामली से 12 किलोमीटर पर स्थित है. करीब 12 लाख की आबादी वाली ये तहसील कैराना प्राचीन काल में कर्णपुरी के नाम से विख्यात थी, जो बाद में किराना नाम से जाना गया और फिर किराना से कैराना में परिवर्तित हो गया. साल 1962 के चुनावों से पहले गठितव इस लोकसभा सीट के अंतर्गत चार विधानसभा क्षेत्र हैं.


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क्या है राजनीतिक इतिहास
उत्तर प्रदेश के लिए कैराना लोकसभा सीट राजनीतिक तौर पर अहम है. 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने इस सीट पर कब्जा किया और हुकुम सिंह यहां से सांसद चुने गए. लेकिन कुछ समय बाद ही हुकुम सिंह के निधन हो गया, जिसके बाद इस लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुए. उपचुनाव में आरएलडी की तबस्सुम हसन ने जीत दर्ज कर ली है. उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी मृगांका सिंह को हरा कड़ी टक्कर दी और चुनावी रण में फतह हासिल की. 2009 में बीएसपी की हसन बेगम तबस्सुम, 2004 में आरएलडी की अनुराधा चौधरी, 1999 में आरएलडी के अमीर आलम, 1998 में बीजेपी के वीरेंद्र वर्मा यहां से सांसद चुने गए थे. 


क्या है जातीय समीकरण
कैराना लोकसभा सीट के तहत शामली जिले की थानाभवन, कैराना और शामली विधानसभा सीटों के अलावा सहारनपुर जिले की गंगोह और नकुड़ विधानसभा सीटें आती हैं. क्षेत्र में करीब 17 लाख मतदाता हैं, जिनमें मुस्लिम, जाट और दलितों की काफी संख्या ज्यादा है. अमूमन जाट आरएलडी के पारंपरिक वोटर माने जाते हैं. लेकिन साल 2014 में बीजेपी ने सेंधमारी की थी, लेकिन उपचुनाव में सीट को बचा नहीं सकी. लोकसभा के पांच विधानसभा क्षेत्रों में मुस्लिमों की आबादी 25 से 40 फीसदी तक है. सपा-बसपा गठबंधन के बाद इस सीट पर मुकाबला दिलचस्प हो गया है.


उपचुनाव में दिखी थी विपक्ष की एकता
उत्तर प्रदेश के अति-महत्‍वपूर्ण कैराना लोकसभा सीट पर उपचुनाव में विपक्ष की एकता बीजेपी पर भारी पड़ी. 31 मई 2018 को मतगणना में राष्‍ट्रीय लोक दल की उम्‍मीदवार तबस्‍सुम हसन ने जीत दर्ज की. कैराना लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में आरएलडी की तबस्सुम हसन को 4,81,182 वोट मिले हैं, जबकि बीजेपी की मृगांका सिंह की झोली में महज 4,36,564 वोट आए. ऐसे में उन्होंने 44,618 वोटों से जीत हासिल की है. तबस्सुम इस जीत के साथ यूपी में साल 2014 के बाद पहली मुस्लिम सांसद बन गई हैं. इस सीट पर बीएसपी और एसपी ने अपना दावेदार नहीं उतारा था.