नई दिल्ली: मेरठ उत्तर प्रदेश राज्य का एक शहर है, जो राजधानी दिल्ली से करीब 70-72 किलोमीटर दूर है. इन लोकसभा चुनावों को मद्देनजर रखते हुए सभी राजनितिक पार्टी देश की जनता के सामने अपनी-अपनी दावेदारी पेश करने की रेस में लग गई हैं. इस निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत 5 विधानसभा क्षेत्र आते हैं, इसमें किठौर, मेरठ, मेरठ कैंट, दक्षिण मेरठ और हापुड़ है. मेरठ का सर्राफा एशिया का नंबर एक का व्यवसाय बाजार है. इसके साथ ही खेल के सामान और कैंची के मशहूर मेरठ यूपी का दसवां निर्वाचन क्षेत्र है.


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क्या है राजनीतिक इतिहास
1952 से 1962 तक यहां पर कांग्रेस का राज रहा और लगातार शाह नवाज खान यहां के सांसद रहे. 1991 के लोकसभा चुनावों में पहली बार भारतीय जनता पार्टी ने मेरठ सीट पर जीत हासिल की थी. यहां से बीजेपी के अमर पाल सिंह सांसद चुने गए जो कि लगातार तीन बार इस सीट से एमपी रहे. 1999 में ये सीट कांग्रेस के हाथ आ गई और अवतार सिंह भदाना यहां से एमपी चुने गए. 2004 में बहुजन समाज पार्टी के हाजी शाहिद अखलाक लोकसभा का चुनाव जीत के सांसद बने, 2009 में बीजेपी की वापसी हुई और राजेंद्र अग्रवाल सांसद की सीट पर बैठे और तब से अग्रवाल ही मेरठ के सांसद हैं. 


इन दावेदारों के बीच थी 2014 में टक्कर
साल 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में बीजेपी की मजबूत दावेदारी को सभी ने देखा था, ऐसे में मेरठ लोकसभा सीट पर बीजेपी के प्रत्याशी राजेन्द्र अग्रवाल ने जीत का परचम लहराया था. तो दूसरी ओर बसपा के कैंडिडेट मोहम्मद शाहिद अखलाक, सपा प्रत्याशी शाहिद मंजूर और कांग्रेस की महिला उम्मीदवार नगमा को हार का सामना करना पड़ा था. इस लोकसभा सीट पर 13 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमाने उतरे थे. 


किसको कितने मिलें मत
साल 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान मेरठ लोकसभा सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 17 लाख 64 हजार 388 थी. करीब 18 लाख मतदाताओं वाली इस लोकसभी सीट पर 11,13,834 वोट डाले गए. 2014 में बीजेपी के राजेन्द्र अग्रवाल को 5 लाख 32 हजार 981 वोट मिले और वो मेरठ के नए सांसद बने. बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी मोहम्मद शाहिद अखलाक को 3 लाख 655 वोट मिले. इसके साथ ही समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार शाहिद मंजूर को 2 लाख 11 हजार 759 वोट मिले. इसके अलावा कांग्रेस की प्रत्याशी नगमा के खाते में 42 हजार 911 वोट गए.