नई दिल्ली: बीते चुनाव में यानी 2014 में दक्षिण गोवा लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी को पूरे 10 साल बाद मौका मिला था. यह संसदीय क्षेत्र कांग्रेस पार्टी का गढ़ माना जाता है. इस सीट पर सबसे ज्यादा बार यानी 8 बार कांग्रेस पार्टी लोकसभा चुनाव जीत चुकी है. इसलिए इस बार इस सीट पर सबकी निगाहें हैं. जहां कांग्रेस को अपना किला दोबारा हासिल करने की ललक है वहीं बीजेपी अपनी इस फतेह को बरकरार रखने के लिए कोशिश कर रही है. 


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दक्षिण गोवा लोकसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी ने कॉस्मे फ्रांसिस्को कैटानो सरदिन्हा, भारतीय जनता पार्टी ने नरेंद्र सवाईकर, आम आदमी पार्टी ने एल्विस गोम्स और शिवसेना ने राखी अमित नाईक को चुनाव मैदान में उतारा है. इन सबके साथ ही डॉ कालिदास प्रकाश वैनगंकर और मयूर खान कोनकर यहां से बतौर निर्दलीय प्रत्याशी उम्मीदवार बने हैं. बता दें कि बीजेपी के प्रत्याशी नरेंद्र सवाईकार ने पिछली बार यह चुनाव जीतकर बीजेपी को यह सीट दिलाई थी. वही यहां के सांसद हैं. 


हालांकि अब भारतीय जनता पार्टी, यूनाइटेड गोवा डेमोक्रेटिक पार्टी और महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी भी यहां मजबूत पार्टियां बन गई हैं. इनके प्रत्याशी भी इस चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी को कड़ा मुकाबला देते नजर आ रहे हैं.


पिछले चुनाव की बता करें तो दक्षिण गोवा लोकसभा सीट से साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी नरेंद्र सवाईकार ने पहली बार सांसद का चुनाव जीता था. उन्होंने इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस पार्टी के अलेक्सो रेनाल्डो लॉरेंको को 32 हजार 330 वोटों यानी 7.96 फीसदी वोटों के अंतर से शिकस्त दी थी. इस चुनाव में सवाईकार को एक लाख 98 हजार 776 वोट मिले थे, जो कुल मतदान का 48 फीसदी है. इस सीट पर महिला वोटरों की संख्या महिला वोटरों की संख्या दो लाख 14 हजार 329 है, जबकि पुरुष वोटरों की संख्या एक लाख 95 हजार 128 है.


जैसा कि हम बता चुके हैं कि इस सीट को कांग्रेस पार्टी का गढ़ माना जाता है. यहां पर अभी तक 13 बार लोकसभा चुनाव हुए हैं, जिनमें से 8 बार कांग्रेस पार्टी ने जीत दर्ज की है. इसके अलावा इस सीट पर बीजेपी को 2 बार, यूजीडीपी को एक बार और यूजीपी को 2 बार जीत मिली है. इस सीट पर 2007 में उपचुनाव भी हुए थे, जिसमें भी कांग्रेस पार्टी को ही जीत मिली थी.


राजनीतिक गतिविधियों की बात करें तो गोवा में साल 1990 से लेकर 2005 तक जमकर राजनीतिक उथल-पुथल रही. मात्र 15 वर्षों में इस प्रदेश में 14 बार सरकारें बदली थीं. इसके बाद तत्कालीन राज्यपाल ने विधानसभा भंग कर राष्ट्रपति शासन घोषित कर दिया था. फिर साल 2007 में विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें कांग्रेस ने बहुमत से जीत दर्ज की थी और सरकार बनाई थी. 


गोवा के इतिहास की बात करें तो पुर्तगालियों ने 1510 में गोवा में एक उपनिवेश स्थापित किया था और 17 वीं और 18 वीं शताब्दियों के दौरान उन्होने इसका विस्तार कर, इसे इसकी वर्तमान सीमाओं तक पहुँचा दिया. भारत ने 19 दिसम्बर 1961 को गोवा को अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया और गोवा तथा दो अन्य पूर्व पुर्तगाली अंत:क्षेत्रों को मिलाकर केन्द्र शासित प्रदेश गोवा का गठन किया. 1965 में दमन और दीव और गोवा को एक जिला बना दिया गया. 30 मई 1987 को गोवा को राज्य का दर्जा प्राप्त हो गया और इसका विभाजन दो जिलों उत्तर गोवा जिला और दक्षिण गोवा जिला में किया गया जबकि दमन और दीव को एक अलग केन्द्र शासित प्रदेश बना दिया गया.


दक्षिण गोवा के अधिकांश लोगों की मातृभाषा कोंकणी है, जबकि महाराष्ट्र और कर्नाटक से सटे इलाकों में क्रमश मराठी और कन्नड़ भाषा बोली जाती है. गोवा राज्य की अधिकांश शिक्षित जनता अंग्रेजी भाषा और लगभग समस्त जनता हिन्दी भाषा का ज्ञान रखती है. जनसंख्या का एक छोटा भाग पुर्तगाली भाषा का ज्ञान रखता है, पर यह संख्या निरंतर कम हो रही है.