अमेठी में कांग्रेस के लिए मुसीबत बनेंगे सोनिया गांधी के करीबी! राहुल के खिलाफ मैदान में उतरने की तैयारी
चुनाव है और चुनाव में बहुत लोग मैदान में आते-जाते हैं. जहां तक हारून रशीद की बात है तो उनके पिता सुल्तान बहुत पुराने कांग्रेसी हैं. राशिद के पिता को सोनिया गांधी का बहुत करीबी माना जाता है.
लखनऊ (सतीश बरनवाल): सात दशकों से कांग्रेस के सिपाही रहे हाजी मोहम्मद हारून राशिद पार्टी के खिलाफ बगावत पर उतर आए हैं. उन्होंने अमेठी से राहुल गांधी के विरुद्ध चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. उन्होंने कांग्रेस पर जम्हूरियत में सबको बोलने का हक़ ऊपर वाले ने दिया है. हर इंसान को अपनी बात कहने का हक़ अल्लाह ताला ने दिया है. मैं सत्तर सालों से इनकी हुकूमत का फालोवर था गांधी फैमली का समर्थक था. आज लोग कह रहे हैं ऐसा क्या हुआ? मुझे अंदर एक घुटन एक दर्द है पूरे कौम का, अमेठी का नहीं पूरे हिंदुस्तान का. पूरे हिंदुस्तान में मुसलमानों को.
दिल्ली से बैठकर सोफे वाली राजनीति नहीं चलेगी!
मेरा कहना है जिसकी जितनी भागी उतनी हिस्सेदारी मिलना चाहिए. अब वो सोफे वाली राजनीति बैठकर दिल्ली से सोफे वाली राजनीति करना वो नहीं चलेगा. अब जो फील्ड में रहेगा, जिसको हिस्सेदारी मिलेगी वो चलेगा. कांग्रेस ने विगत 6-7 वर्षों मावा देखा एकदम मैंने देखा एकदम बीजेपी पैटर्न पर आ गई है.
कांग्रेस और बीजेपी में कोई खास अंतर नहीं
कांग्रेस-बीजेपी में कोई अंतर नहीं है. राशिद की नाराजगी की वजह कांग्रेस का मुस्लिम उम्मीदवार कम उतरना भी बताया जा रहा है. राशिद ने कहा कि जहां उन्हें 30 टिकटों की उम्मीद थी, वहां पर उन्हें दो टिकट मिलें हैं. उन्होंने कहा कि जब हमारा आदमी संसद में पहुंचेगा ही नहीं तो उनकी लहड़ाई को कौन लड़ेगा.
मेरी नहीं कौम की है ये लड़ाई
राशिद ने कहा कि यह सिर्फ उनकी लड़ाई नहीं बल्कि उनके पूरे कौम की लड़ाई है और इसकी शुरुआत अमेठी से होगी. उन्होंने कहा कि वर्तमान में जो अमेठी के हालात और उनके इस कदम से बीजेपी और कांग्रेस दोनों पर असर पड़ेगा. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के मैदान में उतरने के साथ ही स्मृति ईरानी को भी उनके मैदान में उतरने से फर्क पड़ेगा.
सोनिया गांधी के करीबियों में शामिल रहे हैं पिता
चुनाव है और चुनाव में बहुत लोग मैदान में आते-जाते हैं. जहां तक हारून रशीद की बात है तो उनके पिता सुल्तान बहुत पुराने कांग्रेसी हैं. राशिद के पिता को सोनिया गांधी का बहुत करीबी माना जाता है. राशिद का कहना है कि '1910 में जन्मे मेरे पिता जब बहुत युवा थे तभी कांग्रेस से जुड़ गए थे. हमने 70 से अधिक समय तक कांग्रेस को अपना समर्थन दिया है लेकिन अब हमें अहसास हो रहा है कि पार्टी यहां (अमेठी) विकास ही नहीं करना चाहती है. 70 साल तक हमने बहुत कुछ गंवा दिया है, अगर हम अब भी नहीं जगे तो फिर हम अपनी तकदीर और अमेठी की तस्वीर नहीं बदल पाएंगे.'