नई दिल्ली: आगरा से सटा उत्तर प्रदेश का शहर फतेहपुर सीकरी 2008 में परिसीमन के बाद वर्चस्व में आई. साल 2008 में इस सीट का परिसीमन हुआ. 2019 में इस सीट पर तीसरा लोकसभा चुनाव होगा. साल 2009 में यहां बीएसपी ने पहली बार जीत दर्ज की और साल 2014 में बीजेपी के चौधरी बाबूलाल ने जीत दर्ज की. फतेहपुर सीकरी में दूसरे चरण 18 अप्रैल को मतदान हुआ है. 


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इनके बीच है टक्कर 
इस बार के चुनावी नतीजे यहां बेहद खास होने वाला है क्योंकि कांग्रेस ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद रहे राज बब्बर को मैदान में उतारा है, जबकि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने राजकुमार चाहर, बहुजन समाज पार्टी ने श्रीभगवान शर्मा उर्फ गुड्डू पंडित और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) ने मनीषा सिंह को टिकट दिया है. कुल 15 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिसमें 6 प्रत्याशी निर्दलीय हैं.


ऐसे मिला शहर को नाम 
फतेहपुर सीकरी एक एतिहासिक शहर है. जो साल 1569 में मुगल सम्राट अकबर ने स्थापित किया था और साल 1571 से 1585 तक मुगल साम्राज्य की राजधानी था. आगरा से 40 किलोमीटर दूरी पर ये शहर स्थित है. ऐसा कहा जाता है कि अकबर सीकरी नामक शहर में रहने वाले संत शेख सलीम चिश्ती के पास गए थे, जिनके आशीर्वाद से अकबर के तीन बेटे हुए, जिसके बाद अकबर ने सीकरी में एक नया शहर बनाया और अपनी नई राजधानी का नाम फतेहपुर सीकरी यानि विजय का शहर रखा. बुलंद दरवाजा और सलीम चिश्ती की दरगाह की वजह से ये शहर हमेशा पर्यटकों और आस्था का केंद्र रहा है.


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2014 का राजनीतिक समीकरण
उत्तर प्रदेश की फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद बीजेपी के चौधरी बाबूलाल हैं. उन्होंने लोकसभा चुनाव साल 2014 में बीएसपी के कद्दावर नेता रामवीर उपाध्याय की पत्नी सीमा उपाध्याय को 1,73,106 वोटों से हराकर था. साल 2014 के चुनावों बीएसपी दूसरे, सपा तीसरे और रालोद-कांग्रेस का गठबंधन चौथे स्थान पर रहा था.