पश्चिमी यूपी की 8 सीटों का ट्रेंड तय करेगा देश के चुनावी नतीजे! मतदान आज
देश के सबसे बड़े सूबे यूपी में लोकसभा चुनाव की शुरूआत 11 अप्रैल से हो रही है. पहले चरण में यूपी की 8 लोकसभा सीटों पर मतदान होगा. ये सभी सीटें पश्चिमी यूपी की हैं और उत्तर प्रदेश की राजनीति में पिछले कुछ समय से पश्चिमी यूपी का मतदान ही आगे की रूपरेखा तय करता आया है
नई दिल्ली: देश के सबसे बड़े सूबे यूपी में लोकसभा चुनाव की शुरूआत 11 अप्रैल से हो रही है. पहले चरण में यूपी की 8 लोकसभा सीटों पर मतदान होगा. ये सभी सीटें पश्चिमी यूपी की हैं और उत्तर प्रदेश की राजनीति में पिछले कुछ समय से पश्चिमी यूपी का मतदान ही आगे की रूपरेखा तय करता आया है. पश्चिमी यूपी की जिन 8 सीटों पर लोकसभा चुनाव हो रहे हैं, ये सीटें काफी महत्वपूर्ण हैं. सपा-बसपा-RLD गठबंधन का पहला लिटमस टेस्ट यहीं होगा तो योगी के बजरंग बली कार्ड की भी साख दांव पर है. वहीं कांग्रेस इन 8 सीटों पर सपा बसपा के वोट बैंक को अपने पाले में लाने की कोशिश में है.
पश्चिमी यूपी की 8 सीटें दलित, मुस्लिम और जाट बाहुल्य
दरअसल पश्चिमी यूपी की 8 सीटों से ही आगे 72 लोकसभा सीटों पर नतीजे तय होंगे. पश्चिमी यूपी की ये 8 सीटें दलित, मुस्लिम और जाट बाहुल्य है. अगर सपा बसपा और आरएलडी का समीकरण काम कर गया तो बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं लेकिन बीजेपी जाट और दलित वोट बैंक में सेंधमारी की तैयारी में है. वहीं बीजेपी ने पश्चिमी यूपी की इन सीटों पर अन्य पिछड़ा जातियों और सवर्ण वोट बैंक पर पूरा फ़ोकस किए हुए है. यही नहीं बीजेपी इन 8 सीटों पर हिंदुत्व कार्ड को भी भुनाने की पूरी तैयारी में है. दरअसल बीजेपी को ये लगता है कि अगर पश्चिम में हिंदुत्व की लहर जातिवाद पर भारी पड़ गई तो यूपी में बीजेपी की नैय्या पार हो जाएगी.
लेकिन पश्चिम यूपी में बीजेपी के मिशन हिंदुत्व की राह इतना आसान भी नहीं है. यहां मायावती का वोट बैंक अच्छी ख़ासी संख्या में है तो अखिलेश का मुस्लिम वोट बैंक भी भारी तादाद में है. जाटलैंड में चौधरी अजित सिंह का दबदबा है. हालाँकि सपा बसपा के मिशन को कांग्रेस के प्रत्याशी ज़रूर पलीता लगा रहे हैं. सहारनपुर, बिजनौर, कैराना, ग़ाज़ियाबाद, नोएडा में कांग्रेस के प्रत्याशियों के कारण मुकाबला त्रिकोणीय है, जिसका सीधा फायदा बीजेपी को भी मिल सकता है. क्योंकि कांग्रेस ने सहारनपुर और बिजनौर में मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट दिया है और ये बीएसपी-सपा का ही वोट काटते नज़र आएंगे.
क्या 'बजरंग बली' कार्ड चल पाएगा?
बागपत और मुज़फ्फरनगर में आरएलडी अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रही है. अजित सिंह और जयंत चौधरी दोनों पिता पुत्र के लिए ये करो या मरो की लड़ाई है. अगर जाट बीजेपी की तरफ भाग गया तो इनकी राह मुश्किल हो सकती है. हालाँकि इन दोनों ही सीटों पर अभी तक जाटों में जयंत और अजित की सहानुभूति दिखाई पड़ी है. लेकिन आरएलडी के सामने सबसे बड़ी चुनौती मुस्लिम वोटों को जाट वोट के साथ लाना और दलितों का जाट के साथ वोट करना. क्योंकि पश्चिम में जाट और दलित के बीच 36 का आंकड़ा जगज़ाहिर है. क्या मायावती और अखिलेश का पूरा वोट आरएलडी को जाएगा ? वहीं बागपत और मुज़फ्फरनगर सीट छोड़कर क्या जाट अन्य सीटों पर गठबंधन के पास जाएगा, ये भी एक बड़ा सवाल है. यही नहीं ये 8 सीटें मायावती के अली और योगी के बजरंग बली की लड़ाई का भी केन्द्र बिंदू है. क्या मायावती की अपील मुस्लिम मतदाता सुनेंगे और कांग्रेस से दूरी बना पाएंगे? वहीं 2013 के दंगों के बाद से धुर्वीकरण का प्रयोगशाला बने पश्चिमी यूपी में क्या 'बजरंग बली' कार्ड चल पाएगा?
सियासत के सुपरस्टार लड़ रहे हैं चुनाव
अगर इन 8 सीटों पर हम बड़े चेहरों की बात करें तो देश की सियासत के सुपरस्टार यहां चुनाव लड़ रहे हैं. ग़ाज़ियाबाद से बीजेपी के टिकट पर विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह चुनाव लड़ रहे हैं तो वहीं नोएडा से केन्द्रीय संस्कृति मंत्री डॉ महेश शर्मा एक बार फिर अपनी क़िस्मत आज़मा रहे हैं. मुज़फ्फरनगर से बीजेपी के टिकट पर संजीव बालियान और आरएलडी से स्वयं चौधरी अजित सिंह चुनाव लड़ रहे हैं. बागपत में आरएलडी के जयंत चौधरी और केंद्रीय एचआरडी राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह के बीच सीधा मुकाबला है. तो सहारनपुर में कांग्रेस ने विवादित छवि के नेता इमरान मसूद को टिकट दिया है. बिजनौर में मायावती के करीबी रहे नसीरुद्दीन सिद्दीक़ी को कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बनाया है. कुल मिलाकर पश्चिमी यूपी का ये चुनाव आगे की दिशा तय करेगा. इसीलिए पहले चरण का चुनाव खत्म होने के बाद सभी राजनीतिक दल इस बात का दावा करते नज़र आएंगे कि उनकी पार्टी इस फ़ेज़ में आगे रही ताकि पूरे यूपी में यहां के रूझानों को फैलाय जा सके.