नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की फैजाबाद लोकसभा सीट प्रदेश की उन लोकसभा सीटों में जानी जाती है, जो सिर्फ चुनावों में नहीं बल्कि हमेशा से चर्चा में रहती है. राजनीति करने के लिए सालों से यहां अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद का मुद्दा इसी लोकसभा सीट से आता है. अवध विश्वविद्यालय के लिए मशहूर फैजाबाद शुरू से ही धर्म और राजनीति दोनों के केंद्र में रहा है. साल 2014 में बीजेपी यहां कमल खिलाने में सफल रही और लल्लू सिंह यहां से सांसद बनें. फैजाबाद लोकसभा सीट 1957 में वजूद में आई, इसके बाद से अब तक 15 बार चुनाव हुए हैं. इस सीट पर कांग्रेस 7 बार जीत चुकी है. जबकि बीजेपी चार बार और सपा, बसपा, सीपीआईएम और भारतीय लोकदल एक-एक बार जीत दर्ज कर चुकी हैं.


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2014 में ये था जनादेश 
2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर लल्लू सिंह ने जीत दर्ज की थी. लल्लू सिंह ने सपा ने मित्रसेन यादव को दो लाख से ज्यादा वोटों से हराया था. 2014 के चुनाव में बसपा तीसरे और कांग्रेस चौथे स्थान पर रहे थे. इस बार सपा-बसपा के गठबंधन के बाद यहां मुकाबला दिलचस्प हो गया है.


 



ये है राजनीतिक इतिहास
पहली बार 1957 में इस सीट पर पहली बार आम चुनाव हुए और राजा राम मिश्र यहां से सांसद चुने गए. इसके बाद कांग्रेस 1971 तक लगातार चार बार जीत दर्ज की. कांग्रेस के विजय रथ को रोका भारतीय लोकदल के अंतराम जयसवाल ने 1977 में रोका और यहां से जीतकर वो सांसद बने. साल 1980 और 1984 दोनों ही चुनावों में कांग्रेस का ही बोलबाला रहा. लेकिन, साल 1989 में कम्युनिस्ट पार्टी के मित्र सेन ने इस सीट पर जीत दर्ज कर सांसद बने. बीजेपी का पहली बार खाता साल 1991 में खुला और विनय कटियार ने यहां से सांसद चुने गए. इसके बाद साल 1996 में भी विनय कटियार यहां से सांसद चुने गए थे लेकिन साल 1998 के चुनावों में सपा के हाथों विनय कटियार को हार का सामना करना पड़ा. हालांकि, 1999 में वो एक बार फिर विनय कटियार चुनाव जीतने में सफल रहे. साल में पहली बार 2004 में बसपा इस सीट को जीतने में कामयाब हुई. इसके बाद साल 2009 में कांग्रेस से निर्मल खत्री उतरे और जीत दर्ज की. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने लल्लू सिंह उतारा और सासंद पहुंचने में सफल रहे.