लोकसभा चुनाव 2019: इंदौर में पिछले 30 सालों से है सुमित्रा `ताई` का कब्जा, क्या फिर रचेंगी इतिहास
लोकसभा चुनाव 2019 (lok sabha elections 2019) को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी तैयारी शुरू कर दी है.
इंदौरः लोकसभा चुनाव 2019 (lok sabha elections 2019) को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी तैयारी शुरू कर दी है. ऐसे में मध्य प्रदेश में अगर किसी लोकसभा सीट की सबसे ज्यादा चर्चा है तो वह है इंदौर लोकसभा सीट की. मध्य प्रदेश की इंदौर लोकसभा सीट से वर्तमान सांसद और लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन यहां पिछले 30 सालों से अपना कब्जा जमाए हुए हैं. यही कारण है कि इंदौर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र भाजपा का गढ़ माना जाता है. बता दें इंदौर लोकसभा सीट पर कांग्रेस को आखिरी बार 1984 के लोकसभा चुनाव में जीत मिली थी, जिसमें कांग्रेस के प्रकाश चंद्र सेठी ने भारी मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी, लेकिन 1989 में सुमित्रा महाजन के इस सीट पर कब्जा जमाने के बाद से अब तक कांग्रेस यहां जीत दर्ज कराने को तरस रही है. पिछले 8 बार से इंदौर लोकसभा से सांसद रहीं सुमित्रा महाजन को 1989 से आज तक निराशा हाथ नहीं लगी है.
2014 के राजनीतिक समीकरण
8 लोकसभा चुनावों से 'ताई' की की प्रचंड जीत के बाद इस बार विपक्षी दल सुमित्रा महाजन की निष्क्रियता को मुद्दा बना कर इंदौर लोकसभा सीट पर वापसी करना चाह रहे हैं. बता दें इंदौर लोकसभा सीट मध्य प्रदेश की हाईप्रोफाइल सीट में से एक है. जिस पर 1989 से कांग्रेस की नजर है, लेकिन ताई की लोकप्रियता के चलते कांग्रेस को यहां हार का ही मुंह देखना पड़ा है. बता दें 2014 के लोकसभा चुनाव में सुमित्रा महाजन ने रिकॉर्ड तोड़ जीत दर्ज की थी, जिसमें उन्होंने 4 लाख 66 हजार 901 वोटों के भारी अंतर से जीत हासिल की थी.
राजनीतिक इतिहास
बता दें 1957 से 1984 तक इंदौर लोकसभा सीट पर कांग्रेस का ही बोलबाला था, लेकिन 1989 में जब से भाजपा ने सुमित्रा महाजन को उतारा, यह सीट भाजपा की होकर रह गई. ऐसे में पिछले 8 लोकसभा चुनाव से कांग्रेस ने इंदौर लोकसभा सीट हासिल करने के लिए कई हथकंडे अपनाए, प्रत्याशी भी बदले, लेकिन 'ताई' की लोकप्रियता के आगे कुछ हाथ न लग सका. वर्तमान में भारत की लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन 1982-85 में इंदौर महापालिका में पार्षद भी रह चुकी हैं. इसके अलावा वह वाजपेयी सरकार में 1999 से 2004 तक राज्यमंत्री भी रह चुकी हैं.
सांसद का रिपोर्ट कार्ड
1989 के लोकसभा चुनाव में पहली बार इंदौर के चुनावी रण में उतरीं सुमित्रा महाजन एक मराठी परिवार से ताल्लुक रखती हैं, जिसके चलते मराठी वोटों पर उनकी अच्छी पकड़ है. बात की जाए इंदौर के विकास की, तो इंदौर को मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहा जाता है. वहीं शिक्षा की दृष्टि से भी यह प्रदेश का हब माना जाता है. मिनी मुंबई के नाम से पहचाने जाने वाले इंदौर की लाइफस्टाइल की बात की जाए तो इस मामले में यह मेट्रो सिटीज को कड़ी टक्कर देता है. फैशन से लेकर रोजगार के मामले में भी इंदौर ने काफी तरक्की की है. सुमित्रा महाजन को उनके निर्वाचन क्षेत्र के विकास के लिए 25 करोड़ की राशि आवंटित की गई थी, जिसमें से उन्होंने 21 करोड़ खर्च कर दिए, जबकि 3 करोड़ फंड बिना खर्च किए रह गया.