वडोदराः गुजरात राज्य का वडोदरा जिला काफी मशहूर शहर है. यह राज्य का तीसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला शहर है. वडोदरा भारत कि स्वतंत्रता तक एक राजसी राज्य बना रहा. कई अन्य रियासतों की तरह, वडोदरा भी 1947 में भारत डोमिनियन में शामिल हो गया. वडोदरा लोकसभा राजनीतिक दृष्टि से भी काफी अहम है.


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वडोदरा लोकसभा सीट बीजेपी का गढ़ रहा है. 1952 में वडोदरा सीट पर पहली बार लोकसभा चुनाव हुआ था जिसमें निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी. वहीं, 1957 में पहली बार कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. वहीं, 1991 के चुनाव में बीजेपी ने यहां पहली बार दस्तक दी. हालांकि 1996 में में कांग्रेस ने इसी सीट पर फिर से जीत हासिल की थी.


वहीं, 1998 में जयाबेन ठक्कर ने बीजेपी को फिर से इस सीट पर जीत दिलाई. इसके बाद 1999 और 2004 में भी जयाबेन ने जीत की हैट्रिक लगाई. वहीं, 2009 में बालकृष्ण शुक्ला को वडोदरा सीट पर बीजेपी से टिकट दिया गया. उन्होंने बीजेपी की जीत को बरकरार रखा. वहीं, 2014 में पीएम मोदी ने स्वंय इस सीट पर किस्मत आजमाई थी. और वडोदरा की जनता ने उन्हें जीत दिलाई.


हालांकि पीएम मोदी वाराणसी सीट से भी लोकसभा चुनाव जीते थे. इसलिए उन्होंने वडोदरा सीट छोड़ दिया. वहीं, इस सीट पर रंजनबेन भट्ट ने उपचुनाव में बीजेपी को जीत दिलाई. ऐसे में 1998 से अब तक वडोदरा सीट बीजेपी के कब्जे में हैं.


कयास लगाया जा रहा है कि नरेंद्र मोदी 2019 के लोकसभा चुनाव में फिर से इस सीट पर चुनाव लड़ सकते हैं. अगर नरेंद्र मोदी इस सीट पर चुनाव लड़ते हैं तो कांग्रेस के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती होगी. क्योंकि इस सीट पर कांग्रेस को जीत दर्ज करना आसान नहीं होगा. वहीं, देखना यह होगा कि वडोदरा की जनता ने नरेंद्र मोदी के सिर पर ताज सजाया था तो क्या 2019 में भी जनता फिर उनके साथ होगी या नहीं.