नई दिल्‍ली : लोकसभा चुनाव 2019 (lok sabha elections 2019) के दूसरे चरण के लिए महाराष्‍ट्र की 10 लोकसभा सीटों पर 18 अप्रैल को मतदान होना है. इनमें हिंगोली लोकसभा सीट भी शामिल हैं. वैसे तो यह सीट 2014 में कांग्रेस के पास पहुंच गई थी. लेकिन 2014 की तरह ही इस बार भी यहां त्रिकोणीय मुकाबला होने के पूरे आसार जताए जा रहे हैं.


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इस बार इस सीट पर 28 उम्‍मीदवार मैदान में हैं. इनमें 17 निर्दलीय उम्‍मीदवार शामिल हैं. यहां से शिवसेना और बीजेपी गठबंधन ने हेमंत पाटिल को मैदान में उतारा है. वहीं कांग्रेस ने सुभाष वानखेड़े को टिकट दिया है. बसपा ने धनवे दत्‍ता को मैदान में उतारा है.


 



1977 में हुए पहले आम चुनाव
महाराष्‍ट्र की हिंगोली लोकसभा सीट के अंतर्गत 6 विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें उमरखेड़, किंवट, हदगांव, बसमत, कलमनूरी और हिंगोली शामिल हैं. 1976 तक यह लोकसभा सीट अस्तित्‍व में नहीं थी. यहां 1977 में पहले आम सभा चुनाव हुए. इस चुनाव में जनता पार्टी के चंद्रकांत पाटिल ने जीत दर्ज की थी.


कांग्रेस और शिवसेना में रही है टक्‍कर
हिंगोली लोकसभा सीट पर शिवसेना और कांग्रेस में सीधी टक्‍कर देखने को मिली है. इस सीट पर 1980 के आम चुनाव में कांग्रेस के उत्‍तम राठौड़ ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद 1984 और 1989 में भी कांग्रेस ने यहां पर जीत दर्ज की. दोनों ही चुनावों में उत्‍तम राठौड़ सांसद बने थे. इसके बाद 1991 के चुनावों में इस सीट पर शिवसेना का कब्‍जा हुआ. शिवसेना की टिकट पर यहां से विलासराव गुंडेवर सांसद बने. 


1996 में शिवसेना के शिवाजी मणे ने चुनाव जीता. इसके बाद 1998 में यह सीट वापस कांग्रेस के पास गई. 1999 में शिवेसना ने फिर कांग्रेस से यह सीट छीनी. 2004 में राष्‍ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के सुर्यकांत पाटिल ने यहां से चुनाव जीता. 2009 में शिवसेना आई. 2014 में कांग्रेस के राजीव साटव ने चुनाव जीता.