जनता पर लगेगा भारी टैक्स, तब जाकर लागू हो पाएंगी न्यूनतम आय जैसी योजनाएं : अध्ययन
कांग्रेस ने वादा किया है कि अगर पार्टी आम चुनावों के बाद सत्ता में आयी तो सबसे ज्यादा गरीब 20 प्रतिशत परिवारों को 12,000 रुपये मासिक आय सुनिश्चित करेगी.
मुंबई: अगली सरकार के लिये सर्वजनीन न्यूनतम आय (यूबीआई) जैसी योजना के क्रियान्वयन के लिये राशि जुटाना एक चुनौती हो सकती है. यह काम सरकार ऊंची दर से कर लगाकर या बांड के जरिये धन जुटाकर योजना का वित्त पोषण कर सकती है. ब्रोकरेज कंपनी अमेरिका मेरिल लिंच ने यह कहा.
यह अध्ययन ऐसे समय आया है जब राजनीतिक दल 11 अप्रैल से शुरू आम चुनावों से पहले यूबीआई जैसे वादे कर रहे हैं. इसमें विपक्षी दल कांग्रेस की न्यूनतम आय योजना के तहत गरीब परिवारों को सालाना 72,000 रुपये देने का वादा भी शामिल है. कांग्रेस ने वादा किया है कि अगर पार्टी आम चुनावों के बाद सत्ता में आयी तो सबसे ज्यादा गरीब 20 प्रतिशत परिवारों को 12,000 रुपये मासिक आय सुनिश्चित करेगी. वहीं सत्तारूढ़ भाजपा पहले ही छोटे किसानों को 6,000 रुपये सालाना का आय समर्थन उपलब्ध करा रही है.
जहां भाजपा की योजना के लागू होने से सरकारी खजाने पर सालाना 75,000 करोड़ रुपये का बोझ आएगा वहीं कांग्रेस की योजना को अमल में लाने के लिये 3.6 लाख करोड़ रुपये तक की लागत आ सकती है. सोमवार को अपनी रिपोर्ट में वाल स्ट्रीट ब्रोकरेज बैंक आफ अमेरिका मेरिल लिंच ने कहा कि यूबीआई को लागू करने से जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का 1.5 से 1.2 प्रतिशत खर्चा आएगा. रिपोर्ट में चेतावनी देते हुए कहा गया है कि इस प्रकार के नकदी अंतरण से मुद्रास्फीतिक दबाव बढ़ सकता है.
इसमें कहा गया है कि प्रत्यक्ष कर संग्रह में 6.4 प्रतिशत की वृद्धि से केंद्र के राजकोषीय घाटे को कम करने में मदद मिल सकती है. इस प्रकार की वृद्धि व्यक्तिगत तथा कंपनी कर की दरों दोनों में करनी होगी. रिपोर्ट के अनुसार प्रत्यक्ष कर संग्रह में बड़ी राशि प्रत्यक्ष करदाताओं से आती है. इससे निवेश पर प्रभाव नहीं पड़ेगा. वहीं केंद्रीय उत्पाद शुल्क में वृद्धि से गरीबों पर बोझ बढ़ेगा.
ब्रोकरेज कंपनी ने कहा कि यह देखा जाना है कि खाद्यान सब्सिडी या रोजगार गारंटी योजना मनरेगा पर खर्च होने वाले करीब 2 लाख करोड़ रुपये को प्रस्तावित न्यूनतम आय योजना में शामिल किया जाता है या नहीं. रिपोर्ट के अनुसार इसके अलावा सरकार के पास कोष को पूरा करने के लिये बांड हो सकता है. सरकार बांड जारी कर जरूरत के अनुसार राशि जुटा सकती है और लाभार्थियों को उसे अंतरित कर सकती है.