लखनऊ: उत्तर प्रदेश में महागठबंधन को मिली के हार के के बाद एक बार फिर मुलायम सिंह यादव सक्रिय हुए है. कहा जा रहा कै कि समाजवादी पार्टी को फिर से खड़ा करने और संगठन को मजबूत करने के लिए मुलायम ने अखिलेश यादव को नसीहत दी है. मुलायम सिंह यादव ने साफ कह दिया है कि समाजवादी पार्टी की इस करारी हार के लिए कमजोर संगठन और नेताओं का जनता से दूरी बड़ी वजह है. 


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सूत्रों की मानें तो मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव से दो टूक कह दिया है कि अगर पार्टी को मजबूत करना है तो फिर पार्टी में पुराने नाताओं की वापसी होनी चाहिए. संगठन को मजबूत करने के लिए जरुरी है कि संगठन में पकड़ रखने वाले पुराने नेताओं को दोबारा पार्टी में वापस लाया जाय.


हालांकि मुलायम की इस नसीहत को अखिलेश कितना मानते है ये तो वक्त बतायेगा, लेकिन इस अप्रत्याशित हार से अखिलेश यादव बेहद परेशान है. महागठबंधन यूपी में 55 से 60 सीटों की उम्मीद कर रही थी, लेकिन नतीजे बेहद खराब रहें. महागठबंधन महज 15 सीटों पर सीमट गई और इसमें भी समाजवादी पार्टी को सिर्फ 5 सीटों ही मिली. 


2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद समाजवादी पार्टी 5 सीटें जीती थी लेकिन इस बार बसपा से गठबंधन के बाद ही सिर्फ 5 सीटें ही मिली है. इतना ही नही कन्नौज से डिंपल यादव, बदांयू से धर्मेंद्र यादव और फिरोजाबाद से अक्षय यादव भी चुनाव हार गये है. परिवार के सदस्यों की इस हार को लेकर भी सवाल उठ रहे है.  फिलहाल समाजवादी पार्टी में हार की वजहों को तलाशने के लिए मंथन का दौर चल रहा है,लेकिन इस बीच मुलायम की सक्रियता और नसीहतें चर्चा का विषय बना हुआ है.


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चर्चा यह भी है कि मुलायम सिंह चाहते है कि पार्टी में शिवपाल सिंह यादव की वापसी होलेकिन अखिलेश फिलहाल इसके लिए बिल्कुल भी तैयार नही है. उधर मुयाम और शिवपाल में लगातार मुलाकातें हो रही है. दोनों के बीच हार को लेकर चर्चा भी हुई है, लेकिन शिवपाल की वापसी फिलहाल मुमकीन नही दिखती. हार के बाद अखिलेश यादव ने पार्टी के सभी प्रवक्ताओं को टीवी डिवेट में जाने पर रोक लगा दिया है. 


खुद अखिलेश यादव 3 जून को आजमगढ़ जा रहे है. अखिलेश यादव अपनी जीत के लिए आजमगढ़ की जनता का अभार व्यक्त करेगे. सोमवार को जमगढ़ में एक जनसभा को संबोधित करेंगे, जनता का अभार प्रकट करेंगे और आजमगढ़ में ही रात्री विश्राम करेंगे. अगली सुबह यानी 4 जून को गाजीपुर के दौरे पर रहेंगे. अखिलेश यादव की इस कवायद को एक बार फिर अपने दम पर पार्टी को खड़ा करने की कोशिश के रुप में देखा जा रहा है.