पटना : हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) के राष्ट्रीय संयोजक जीतन राम मांझी वर्ष 1980 में पहली बार विधानसभा पहुंचे थे. वह 1985, 1990 और 1996 के विधानसभा चुनाव में भी विधानसभा चुनाव जीते थे. वर्ष 2008 में उन्हें पहली बार नीतीश कुमार की नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया था.


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2014 में हुए लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार की जिम्मेदारी लेते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद उन्होंने जीतन राम मांझी पर भरोसा करते हुए उन्हें बिहार की गद्दी पर बैठाया.



सीएम बनने के बाद लगातार दोनों नेताओं के बीच मतभेद की खबर बाहर निकलकर आने लगी. मांझी लगातार नीतीश कुमार के खिलाफ बयानबाजी करते रहे. इससे लगातार उनकी पार्टी के लिए असहज स्थिति उत्पन्न होती गई. इस सबके बीच 20 फरवरी 2015 को उन्हें सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद उन्होंने हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) का गठन किया.


मांझी ने जेडीयू से राह अलग कर बीजेपी से गठबंधन किया और 2015 के विधानसभा चुनाव में कूदे. लेकिन संतोषजनक परिणाम नहीं मिले. इसके बाद नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी के साथ ही मांझी ने महागठबंधन का दामन थाम लिया. इस लोकसभा चुनाव में मांझी गया संसदीय सीट से दांव आजमा रहे हैं. उनका मुकाबला जेडीयू से है.