नई दिल्लीः लोकसभा चुनाव 2019 में एनडीए ने प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है. बिहार में एनडीए ने अपने दावों के मुताबिक 40 में 39 सीटों पर जीत हासिल की है. चुनाव के नतीजों के साथ ही विपक्ष में घमासान शुरू हो गया है. वहीं, आरजेडी की इतनी बड़ी हार पहली बार हुई है. ऐसे में आरजेडी पार्टी इस हार की गहरी समीक्षा करेगी. वहीं, लोकसभा चुनाव में तेजप्रताप के बगावत पर भी सवाल उठाए जाएंगे.


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तेजप्रताप यादव ने लोकसभा चुनाव 2019 में भले ही वह आरजेडी के साथ थे. लेकिन आरजेडी के कुछ बड़े नेताओं से तेजप्रताप की नाराजगी शायद पार्टी के लिए आखिर नुकसान साबित हुई. तेजप्रताप यादव शिवहर और जहानाबाद से अपने नाम दिए हुए उम्मीदवार उतारना चाहते थे. लेकिन उनके दिए हुए नामों को आरजेडी नेताओं ने अनदेखा कर दिया.



तेजप्रताप इस बात से काफी नाराज थे, उन्होंने तेजस्वी यादव से इस बारे में बात भी की लेकिन उन्होंने भी उनकी बातों को तबज्जों नहीं दी. लिहाजा तेजप्रताप यादव ने अल्टीमेंटम दिया और कहा तेजस्वी यादव के करीब नेता उन्हें बरगला रहे हैं अगर उनकी बातों को नहीं माना तो वह शिवहर और जहानाबाद से अपने उम्मीदवार उतारेंगे.


आरजेडी ने शिवहर में शैयद फैसल अली को और जहानाबाद में सुरेंद्र प्रसाद यादव को मैदान में उतारा था. वहीं, तेजप्रताप ने इन दोनों सीटों पर अपने निर्दलीय उम्मीदवार खड़े कर दिए. साथ ही उनके लिए चुनाव प्रचार में भी उतरे थे.


अब ऐसे में माना जा रहा है कि जहानाबाद में आरजेडी उम्मीदवार की हार तेजप्रताप यादव की वजह से हुई है. वहीं, मतों के आंकड़े भी यही कह रहे हैं कि अगर तेजप्रताप यादव अपने उम्मीदवार नहीं उतारते तो शायद जहानाबाद में आरजेडी अपना पर्चम लहराने में कामयाब हो सकती थी.


जहानाबाद में तेजप्रताप यादव के उम्मीदवार चंद्र प्रकाश को 7714 मत मिले. वहीं, आरजेडी उम्मीदवार सुरेंद्र प्रसाद यादव को 3,32,116 मत मिले. जबकि जेडीयू उम्मीदवार चंदेश्वर प्रसाद को 3,33,191 मत मिले. यानी की सुरेंद्र यादव महज 1075 वोटों से चंदेश्वर प्रसाद से हार गए. लेकिन अगर चंद्र प्रकाश के 7714 वोट इसमें जोड़ दिए जाएं तो आरजेडी शायद यहां से आसानी से जीत सकते थी.


बहरहाल, आरजेडी की समीक्षा बैठक में तेजप्रताप यादव की बगावत पर जरूर सवाल उठाए जा सकते हैं.