Current Affairs 2023; Know About NATO Plus: यूपीएससी, एसएससी समेत देश में आयोजित सभी कॉम्पीटिशन एग्जाम्स में वर्तमान मुद्दों से जुड़े सवाल पूछे ही जाते हैं. इन मुद्दों की जानकारी होना बहुत जरूरी है. अगर आप भी किसी एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं तो करेंट अफेयर्स पर आधारित इन प्रश्नों और उनके जवाब आपको पता होना चाहिए. इन दिनों हर जगह नाटो प्लस की चर्चाएं हो रही हैं. आपके भी मन में सवाल आया होगा कि आखिर ये क्या नाटो प्लस है, तो आइए जानते हैं कि इसका गठन किस देश ने किया और क्यों हो रही है इसकी चर्चा? 


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इस उद्देश्य से किया गया नाटो प्लस का गठन 
नाटो प्लस संगठन का गठन अमेरिका ने किया है, जिसका मकसद वैश्विक रक्षा सहयोग को बढ़ावा देना है. फिलहाल, इस संगठन के सदस्य देशों में दक्षिण कोरिया, जापान, इजरायल, न्यूजीलैंड और आस्ट्रेलिया शामिल है. चीन के लगातार बढ़ते प्रभाव को रोकने के साथ ही ताइवान जैसे अन्य पड़ोसी मुल्कों के साथ चीन की बढ़ती हिटलरशाही को रोकना ही इसका उद्देश्य. इसके अलावा अन्य सुरक्षात्मक दृष्टि से अमेरिका ने नाटो प्लस का गठन किया है.


जानिए क्यों है चर्चा में
दरअसल, हाल ही में अमेरिकी कांग्रेस की एक ससंदीय कमेटी ने इंडिया को नाटो प्लस का सदस्य बनाने की पुरजोर अनुशंसा की है.  अमेरिकी कांग्रेस की इस ससंदीय कमेटी का काम चीन के मामलों पर नजर रखना और समय-समय पर सरकार को जरूरी सुझाव देना है. अगर कमेटी की यह सिफारिश मान ली जाती है तो भारत नाटो प्लस का 6वां सदस्य बनेगा. 


सामरिक दृष्टि से बेहद इसलिए महत्वपूर्ण हो सकता है ये गठजोड़ 
क्वाड का महत्वपूर्ण सदस्य और चीन का पड़ोसी होने के चलते भारत की भूमिका नाटो प्लस में और भी महत्वपूर् हो जाएगी है. जानकारी के मुताहिक कुछ ऐसे ही तर्कों के आधार पर अमेरिकी कांग्रेस कमेटी ने यह सिफारिश रखी है. क्वाड के बाकी सदस्य अमेरिका, आस्ट्रेलिया और जापान हैं, जो नाटो प्लस के भी ये मेंबर हैं. पीएम नरेंद्र मोदी अगले महीने अमेरिका की स्टेट विजिट पर हैं और ऐसे समय पर कमेटी ने यह सिफारिश है. इसके कारण ये कयास लगाए जा रहे हैं कि यूएस प्रेसीडेंट इस मौके पर भारत को नाटो प्लस का सदस्य बनाने का ऐलान कर सकते हैं.


जानिए भारत को कैसे होगा इससे फायदा
भारत अगर नाटो प्लस का सदस्य बनता है तो उसे सीधे तौर पर अमेरिकी डिफेंस इंडस्ट्री और तकनीक में एंट्री मिल सकती है. अमेरिका नाटो प्लस देशों को यह मदद देता आ रहा है. 


रूस-यूक्रेन युद्ध में तटस्थ भूमिका, लेकिन यूएस का देना होगा साथ
वहीं, नाटो प्लस का मेंबर बन जाने के बाद भारत को चीन के खिलाफ अमेरिका का साथ देना होगा. जबकि, इंडिया विश्व के किसी भी ग्रुप का हिस्सा नहीं है. जी-7 बैठक के दौरान भी भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्त करने की वकालत की, लेकिन किसी भी देश का पक्ष नहीं लिया.